रत्नावली शक्तिपीठ - खानाकुल, आरामबाग, पश्चिम बंगाल
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Description
ऋषि राजा सूरत को बताते हैं कि राजन जब ब्रह्मा जी ने वहां मधु और कैटव को मारने के उद्देश्य से भगवान विष्णु को जगाने के लिए तमोगुण की अधिष्ठात्री देवी योगनिद्रा कि इस प्रकार स्तुति की तभी भगवान के नेत्र मुख कमल नासिका और वक्ष स्थल से निकलकर अव्यक्त जन्में ब्रह्मा जी की दृष्टि के समक्ष खड़ी हो गई योग निद्रा से मुक्त होने पर स्वामी भगवान जनार्दन निद्रा से जाग उठे फिर उन्होंने उन दोनों को देखा दोनों मधु और कैटव अत्यंत बलवान और पराक्रमी थे और क्रोध से लाल आंखें किए ब्रह्मा जी को खा जाने के लिए उनकी और तेजी से बढ़ रहे थे तब भगवान श्रीहरि ने क्या किया और ये कथा नवरात्री के पवन पर्व से कैसे जुड़ी है जानने के लिए सुनिए पूरा एपिसोड।
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10 महाविद्याओं में चौथी महाविद्या है मां त्रिपुरसुंदरी, जिन्हें ललिता देवी भी कहा जाता है, इनका स्वरूप 16 वर्ष की कन्या का है जो 16 कलाओं से युक्त है, इसलिए इन्हें षोडशी भी कहते है माँ के अनेकों नाम है ललिता, माहेश्वरी, शक्ति, राजराजेश्वरी। महाविद्याओं में से सबसे मनोहर रूप में पूजी जाने वाली...
Published 11/21/23
उड़ीसा के पूरी मंदिर में जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र की स्थापना से भी युगों पहले सतयुग से स्थित है माता सती का विमला शक्तिपीठ. जहां देवी मां के उत्कल क्षेत्र यानी नाभी का निपात हुआ था. यहां की शक्ति है महादेवी और भैरव को जगन्नाथ कहते हैं. क्या आप जानते है की भगवान विष्णु मां आदिशक्ति को अपनी बहन...
Published 10/20/23
Published 10/20/23