कामाख्या शक्तिपीठ - गुवाहाटी, असम
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Description
कामाख्या मंदिर के गर्भ ग्रह में देवी की किसी प्रतिमा की पूजा नहीं होती बल्कि यहां माता सती की योनि की पूजा होती है जिसका सतयुग में भगवान विष्णु द्वारा माता सती को सुदर्शन से विभाजित करने के बाद गुवाहाटी में निपात हुआ था रहस्मयी बात है योनि पिंड से लगातार बहता झरना .. इसी के साथ जून के महीने में माता ३ दिन के लिए रजवाला होती है.. पुजारी द्वारा मां की योनि के चारों ओर एक साफ सूखा सूती कपड़ा बिछाया जाता है। जिसके बाद 3 दिन के लिए मंदिर के कपाट बंद हो जाते है बाद में जब मंदिर खोला जाता है तो वह वस्त्र गीला लाल रंग का हो जाता है उसी दौरान यहाँ 5 दिनों के लिए अंबुवाची मेला लगता है उन दिनों यहां पर ब्रह्मपुत्र नदी पानी भी लाल रंग का हो जाता है तंत्र साधना के लिए यह विश्व का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। कामाख्या मंदिर के प्रांगण में देवी मां 64 योगिनियों और दस महाविद्याओं के साथ विराजित है साथ ही सुनिए और भी रहस्य से भरी बातें और महिमा और जानिए की इस शक्तिपीठ को महाशक्तिपीठ का दर्जा क्यों दिया गया है।
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कालीका शक्तिपीठ में देवी आदिशक्ति काली रूप में साक्षात विराजती है। मां काली दस महाविद्याओं में से एक है। कहते हैं की इस स्थान पर देवी सती के दाहिने पैरो की उंगलियां स्थापित हैं। यहां की शक्ति है मां कालिका और शिव यानी भैरव यहां नकुलीश के नाम से रहते है। तांत्रिक विद्या साधना में काली मां को...
Published 09/18/23
Published 09/18/23
हर साल नवरात्रि में गुह्येश्वरी शक्तिपीठ में मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें भारत, भूटान सहित कई देशों से श्रद्धालु दर्शन करने आते है।यहां नवरात्र के साथ 10 दिवसीय दशैन उत्सव भी मनाया जाता है। इसमें माता की भव्य सवारी पालकी पर निकलती है. इस जगह पर भगवती सती के शरीर के दोनों घुटनों का निपात हुआ।...
Published 08/29/23