कालिका शक्तिपीठ - कालीघाट, कोलकाता
Listen now
Description
कालीका शक्तिपीठ में देवी आदिशक्ति काली रूप में साक्षात विराजती है। मां काली दस महाविद्याओं में से एक है। कहते हैं की इस स्थान पर देवी सती के दाहिने पैरो की उंगलियां स्थापित हैं। यहां की शक्ति है मां कालिका और शिव यानी भैरव यहां नकुलीश के नाम से रहते है। तांत्रिक विद्या साधना में काली मां को विशेष प्रधानता प्राप्त है भाव बंधन मोचन में मां काली की उपासना सर्वोच्च कही जाती है। देवी काली की मूर्ति श्याम रंग की है ,उनके सोने से बने बड़े बड़े त्रिनेत्र है, मां की जिव्हा स्वर्ण से बनी बहुत लंबी है। आंखें और सिर सिंदुरिया रंग में हैं। यहां तक की मां काली के तिलक भी सिंदुरिया रंग में लगा हुआ है। उनके चार हाथ है उन्होंने एक हाथ में खड़क धारण किया है, दूसरे हाथ में दानव शुंभ का कटा हुआ शीर्ष है। तीसरे हाथ में अभय मुद्रा से वे भक्तो को वरदान दे रही है और चौथे हाथ में ज्ञान मुद्रा धारण किए हुए हैं. उनका एक चरण महादेव की छाती पर रखा है. महादेव ने ही मां पार्वती को काली रूप से बाहर निकाला था।
More Episodes
उड़ीसा के पूरी मंदिर में जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र की स्थापना से भी युगों पहले सतयुग से स्थित है माता सती का विमला शक्तिपीठ. जहां देवी मां के उत्कल क्षेत्र यानी नाभी का निपात हुआ था. यहां की शक्ति है महादेवी और भैरव को जगन्नाथ कहते हैं. क्या आप जानते है की भगवान विष्णु मां आदिशक्ति को अपनी बहन...
Published 10/20/23
Published 09/18/23