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भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का अहम स्थान है यह एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जिसमें शिव-पार्वती दोंनो एक साथ स्थापित हैं। आंध्रप्रदेश के कुरनूल में ब्रह्मगिरी पर्वत पर जिसे दक्षिण का कैलाश भी मानते हैं यहां कृष्ना नदी के तट पर स्थित इस ज्योतिर्लिंग में आज भी हर रोज महादेव और माता पार्वती का विवाह कराया जाता है। यहां मल्लिका मां पार्वती को और अर्जुन भगवान शिव को कहते हैं। इसी मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के प्रांगण में स्थित है श्रीशैलम शक्तिपीठ। जहां माता सती...
Published 03/13/23
अमरनाथ गुफा में महादेव ने मां पार्वती को परम ज्ञान दिया था। जिससे उनके मनुष्यत्व का नाश हुआ , फिर उन्होंने इसी स्थान पर घोर तप किया महामाया रूप को प्राप्त हुई। इस तत्वज्ञान को 'अमरकथा' के नाम से जाना जाता है इसीलिए इस स्थान का नाम 'अमरनाथ' पड़ा। पवित्र अमरनाथ गुफा में ही स्थित है महामाया शक्तिपीठ यहाँ माता के कण्ठ का निपात हुआ था। यहाँ की शक्ति है ‘महामाया’ तथा भैरव यानी शिव को ‘त्रिसन्ध्येश्वर’ कहा जाता है। हर साल स्थानीय सरकार शिव भक्तों के लिए वार्षिक अमरनाथ यात्रा की व्यवस्था करती है।...
Published 02/27/23
नासिक में सप्तशृंगी पहाड़ियों से घिरा हुआ वो पवित्र स्थान जहां दुर्गा सप्तशती कही गई और जहां
महिषासुर राक्षस के विनाश के लिए सभी देवी-देवताओं ने मां की आराधना की थी तभी देवी मां 18 भुजाओ वाली सप्तश्रृंगी अवतार में प्रकट हुईं। आज दर्शन करेंगे पवित्रतम स्थान के जहां माता के परम भक्त मार्कण्डेय ऋषि का आश्रम था। जिन्होंने ब्रह्मा जी के साथ इसी स्थान पर सप्तशती कही। आपने हमेशा सुना होगा की देवी की अष्ट भुजाएं है इसलिए उन्हें अष्टभुजी कहा जाता है। यहां दर्शन करेंगे विश्व भर में एक मात्र स्वयं भू...
Published 02/20/23
दक्षिण की गंगा कही जाने वाली गोदावरी नदी के तट पर कोटिलिंगेश्वर मंदिर में स्थित है सर्वशैल शक्तिपीठ जिसे गोदावरी तीर शक्तिपीठ भी कहा जाता है।
मान्यताओं के अनुसार यहां माता सती का वाम गंड (गाल) गिरे थे। यहां की शक्ति है विश्वेश्वरी जिन्हे राकिनी, या विश्वमातुका भी कहते है और शिव या भैरव को वत्सनाभम और दण्डपाणि के नाम से जाना जाता है।
ये एक मात्र ऐसा स्थान है जहां गोदावरी नदी में स्थान करने और दर्शन कर प्रायश्चित करने से गौहत्या तक के पाप से मुक्ति मिल जाती है।
Published 02/13/23
नेपाल में माता सती के दाएं गंड यानी गाल गिरने से बना गंडकी शक्तिपीठ जो इस सृष्टि के प्राचीनतम और सबसे ऊंचे मंदिरों में से एक है। यहाँ की शक्ति है 'गण्डकी चंडिका' तथा शिव यानी भैरव को 'चक्रपाणि' कहा जाता हैं। ये वो पवित्रतम स्थान है जहाँ स्वयं भगवान विष्णु को सती वृंदा के श्राप से मुक्ति मिली। और वो स्वयं यहाँ मुक्तिनाथ के नाम से स्थित हो गए और इस तरह ये स्थान मुक्तिधाम बन गया।
यही मुक्तिधाम से निकली पवित्र गंडक नदी जो गंगा की सप्तधारा में से एक है, कहते हैं की जब कलयुग में गंगा नदी नही रहेगी...
Published 02/07/23
माता ज्वाला देवी के दरबार में राजा अकबर ने भी शीश झुकाया. कहा जाता है कि ज्वाला माँ की लौ को बुझाने के लिए उसने लौहे के भारी तवे का इस्तेमाल किया यहां तक कि नहर को ही मोड़ दिया था फलस्वरूप माँ ने अपने चमत्कार से अकबर का घमंड तोड़ उसे अपनी शरण में लिया. तब भक्तिभाव से अकबर ने माँ ज्वाला को सोने का छत्र चढ़ाया जिसे माँ ने अपनी ज्वाला से किसी अन्य धातु में परिवर्तित कर दिया. उस धातु को वैज्ञानिक भी नहीं पता लगा पाए. कई सालो से माँ की चमत्कारिक लौ की ऊर्जा जानने के लिए आज भी जमीन के नीचे...
Published 01/30/23
महादेव की नगरी काशी अद्भुत रहस्यो से भरी हुई है काशी में जब शाम ढल जाती है और गंगा आरती के बाद चांद निकलता है तब वाराही माता का दिन शुरू होता है। वाराही रात्रि की देवी हैं इसलिए उन्हें धूम्र वाराही और धूमावती के नाम से भी जाना जाता है। माँ धूमावती १० महाविद्याओं में आती है जिनकी महत्वता तंत्र साधना में है इनकी साधना माघ में आने वाले गुप्त नवरात्री में रात्रि में करते है। कहते हैं कि माता सती का जब दांत काशी में गिरा तो उससे माता वाराही उत्पन्न हुईं। इस एपिसोड में हम जानेंगे काशी की क्षेत्र...
Published 01/23/23
मिलनाडु का कन्याकुमारी नगर में देवी आदिशक्ति आज भी अवावहित कन्या रूप में तपस्या रत है। इसलिए दक्षिण भारत के इस स्थान का नाम कन्या कुमारी पड़ा। यही पर स्थित है सुचिंद्रम शक्तिपीठ जिसे शुचितीर्थम, शुचिदेश या नारायणी शक्तिपीठ आदि नामो से भी जाना जाता है।
जहां पर माता सती के ऊपरी दंत (ऊर्ध्वदंत) गिरे थे। इसकी शक्ति है नारायणी और भैरव को संहार या संकूर कहते हैं। साथ ही आपने रामायण में माता अहिल्या के मूर्ति रूप की कथा सुनी होगी और माता अनुसुइया की कथा भी सुनी होगी। इस एपिसोड में सुनिए की कैसे ये...
Published 01/16/23
इस एपिसोड में हम चलेंगे प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पश्चिम बंगाल के बीरभूम जनपद के लाबपुर के अट्टहास गांव में जहां स्थित है अट्टहास शक्तिपीठ। मान्यता अनुसार यहां देवी का निचला होंठ गिरा था।
यहां की शक्ति है फुल्लारा देवी और भैरव भगवान विश्वेश्वर के रूप में पूजे जाते हैं। मंदिर के बगल में आज भी एक बड़ा तालाब है। यहाँ देवी पार्वती की 2 प्रतिमा हैं। एक है भवानी, और दूसरी हैं देवी सती की है। वैसे तो ये मंदिर सतयुग से स्थापित है परंतु जीर्णोधार के बाद भी इसे 5000 वर्ष पुराना माना जाता है।
Published 01/09/23
मध्य प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर से 1 घंटे की दूरी पर स्थित महाकाल की पावन नगरी उज्जैन, जहां ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर के पीछे पश्चिम दिशा में हरसिद्धि माता का मंदिर स्थित है। यहां माता सती के दो अंग विपरीत पहाड़ी पर आमने-सामने गिरे थे, जहां माता की कोहनी गिरी थी, उसे हरसिद्धि शक्तिपीठ कहा गया, जो राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी भी हैं और जहां उनका ऊपर का गिरा, उसे गढ़कालिका माता नाम दिया गया। उज्जैन में ही भैरव पहाड़ी पर भैरवगढ़ में भैरवनाथ विराजमान हैं, जो स्वयं शराब पीते हैं। इस...
Published 12/26/22
दुर्गा सप्तशती में ही भगवान शिव ने समस्त विश्व के कल्याण के लिए सिद्ध कुंजिका स्त्रोत्र का रहस्य बताया। इस एपिसोड में सुनिए की काली देवी ने चंड मुंड का वध किस स्थान पर किया था और किस लिए वे चामुंडेश्वरी शक्तिपीठ से विख्यात हुई
Published 12/19/22
मोक्षदायनी धरा वाराणसी की अलौकिकता को अनुभव करना एक अद्भुत एहसास है. यहाँ पर माता सती की कर्ण मणि गिरी थी जिससे मणिकर्णिका शक्तिपीठ यानि विशालाक्षी शक्तिपीठ की स्थापना हुई. उसी के साथ मणिकर्णिका घाट की उतपत्ति भी हुई. इसी घाट पर भगवान शिव ने माता सती के शव का अंतिम संस्कार किया था जिससे ये मोक्षदायनी धरा के साथ महाशमशान के नाम से विख्यात हुई. महादेव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से काशीविश्वनाथ महादेव, कोतवाल काल भैरव के साथ काशी में विराजते है. माना जाता है कि हर रात्रि भोलेनाथ विश्राम...
Published 12/12/22
बांग्लादेश के शिकारपुर में बरिसल या बरीसाल से उत्तर में 21 किमी दूर शिकारपुर नामक गांव में सुनंदा नदी (सोंध) के किनारे स्थित है मां सुगंधा, जहां सती माता की नासिका गिरी थी। इसकी शक्ति है सुनंदा और भैरव या शिव को त्र्यंबक कहते हैं। यहां का मंदिर उग्रतारा के नाम से विख्यात है। उग्रतारा सुगंदा देवी के पास तलवार, खेकड़ा, नीलपाद, और नरमुंड की माला है। सदियों से इस स्थान पर होने वाली साधनाओं के कारण यहां कदम रखते ही शरीर और मन में शक्ति का संचार होता है।
Published 12/05/22
हिमाचल प्रदेश की शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ियों पर चंडीगढ़ से लगभग 104 किलोमीटर की दूरी पर बिलासपुर जिले में पहाड़ी पर स्थित है नैना देवी शक्तिपीठ जहां माता सती के दोनों नेत्रों का निपात हुआ था लेकिन कुछ लोगों का ये मानना है कि उनके नेत्रों का निपात नैनी देवी मंदिर में हुआ था जो भारत के उत्तराखंड राज्य के नैनीताल शहर में नैनी झील के उत्तरी छोर पर स्थित है और उन्हीं के नाम से इस स्थान का नाम नैनीताल पड़ा. इस एपिसोड में सुनिए नैना देवी मंदिर की महिमा और उनकी मान्यताएं.
Published 11/28/22
क्या आप जानते है कि महालक्ष्मी के पीछे-पीछे स्वयं नारायण को भी धरती पर आकर तिरुपति में स्थापित होना पड़ा. कहते है, इस स्थान के दर्शन किए बिना तिरुपतिबाला जी के दर्शन पूर्ण नहीं होते. इस एपिसोड में हम तंत्र चूड़ामणी, स्कन्द पुराण व देवी गीता में उल्लेखित कोल्हापुर में स्थित करवीर शक्तिपीठ को विस्तार से जानेंगे. यहां की जगदम्बा को ‘करवीरसुवासिनी’ या ‘कोलापुरनिवासिनी’ भी कहा जाता है. महाराष्ट्र में इन्हें ‘अम्बाबाई’ माता भी कहते हैं.
Published 11/21/22
माता सती के इस शक्तिपीठ के दर्शन करने से संतान प्राप्ति की इच्छा पूर्ण होती है लेकिन इसके लिए करना होगा मंदिर में अपराध पूरी कहानी जानने के लिए सुनिए इस एपिसोड को.
Published 11/14/22
क्या आप जानते है श्रीकृष्ण की कुल देवी कौन थी?श्रीकृष्ण किसकी उपासना करते थे? कंस वध से पहले उन्होंने किनसे आशीर्वाद प्राप्त किया? राधा रानी और गोपिकाओ ने श्री कृष्ण को किससे मांगा था ? कहते हैं यहां उपासना करने से मन चाहे जीवन साथी का वरदान प्राप्त होता है। ये स्थान चमत्कारी है। मथुरा- वृन्दावन सुन मन कृष्णा भक्ति में डूब कर कुञ्ज गलियों में गुम हो जाने को कहता है. यहां कण-कण में राधाकृष्णा का वास है. लेकिन, क्या आप जानते है कि सतयुग में इसी नगरी में महादेव की पत्नी सती के शव के केश धरती में...
Published 11/07/22
महिषमर्दिनी शक्तिपीठ के नाम से विख्यात वक्रेश्वर शक्तिपीठ की महिमा अलौकिक है. यहां माँ सती की प्रतिमा महिषासुर का वध करते हुए दर्शायी गयी है. यहां पर वक्रेश्वर शक्तिपीठ के साथ ही भगवान शिव का वक्रेश्वर नाथ मन्दिर भी है. इस जगह पर पानी के स्वनिर्मित 10 कुंड है. जिनका तापमान खोलते हुए से लेकर जमा देने वाले ठन्डे जैसा है. इस एपिसोड में सुनिए पश्चिम बंगाल के सिउरी के बीरभूम जनपद के पाप हरा नदी के तट पर स्थित माता के मस्तिष्क के पिंडी रूप की कहानी.
Published 10/31/22
देव भूमि उत्तराखंड में माता सती का सिर गिरा था जिसका नाम सुरकंडा देवी शक्तिपीठ पड़ा. सुरकंडा देवी की पहाड़ी से बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री अर्थात चारों धाम की पहाड़ियां दिखाई देती है. गंगा दशहरा और नवरात्रि के मौके पर यहां दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है साथ ही इस एपीसोड में जानिए माता के प्रसिद्ध 51 शक्तिपीठों में से इस अंग के दर्शनों की महिमा.
Published 10/23/22
51 शक्तिपीठ के पहले पीठ में हम जानेंगे माता हिंगुला के बारे में, जिसे हिन्दू भक्त माता रानी और मुस्लिम भक्त नानी कहते है. पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हिंगोल नदी के किनारे हिंगलाज नामक पहाड़ी पर बसे हिंगलाज माता के मंदिर में सती माता का 'ब्रह्मरंध्र' गिरा था. यहां उपासना से मनुष्य का भी ब्रह्मरंध्र जाग्रत होता है. जिससे वो जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्त हो मोक्ष की ओर जाता है. इस एपिसोड में सुनिए माता हिंगुला देवी की महिमा और यात्रा के बारे में. साथ ही जानिए की यहां भगवान राम ने क्यूँ...
Published 10/16/22
प्रजापति दक्ष के महायज्ञ में ऐसा क्या हुआ की महादेव के तीसरे नेत्र से उतपन्न वीरभद्र ने दक्ष का सिर धढ़ से अलग कर दिया। आख़िर शिव सती के शव को लेकर क्यों लोक-परलोक भटके और किन कारणों से भगवान विष्णु को माता सती के शव के 51 भाग करने पड़े?
इस एपिसोड में सुने की जनकल्याण के लिए बने इन 51 शक्तिपीठों की स्थापना कैसे हुई और अंत में पर्वतराज हिमालय की पुत्री आदि शक्ति स्वरूपा पार्वती के साथ महादेव ने विवाह कर सृष्टि का कल्याण किया साथ ही जानिए की आज भी महादेव कहाँ पर अपना गृहस्थ जीवन बिता रहे हैं।
Published 10/10/22
बात सतयुग की है जब तारकासुर स्वर्ग के साथ पूरी सृष्टि में त्राहि मचा रहा था। क्यूंकि तारकासुर को शिव पुत्र से ही मृत्यु का वरदान प्राप्त था। आसुरी शक्तियों के बढ़ते प्रभाव को देख कैसे देवों के आग्रह पर भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी महादेव के पास देवी सती से विवाह करने का प्रस्ताव लेकर जाते है। उनके आग्रह करने पर देवों के देव महादेव ने क्या उत्तर दिये और दक्ष की इच्छा के विरुद्ध कैसे संपन्न हुआ शिव सती विवाह सुनिए इस एपिसोड में।
Published 10/03/22
अपने नए पॉडकास्ट 51 शक्तिपीठ में होस्ट निष्ठां आपको कहाँ-कहाँ का सफर करवाएंगी और बताएंगी कौन सी ऐसी बातें जो अभी तक शायद आपको मालूम ही ना हो, अभी सुनिए आने वाले एपिसोड से पहले इस ट्रेलर को।
Published 10/03/22