Saath Chalte Chalte Tum | Rashmi Pathak
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साथ चलते चलते तुम | रश्मि  पाठक   तुम बहुत आगे   निकल गए   जाने कितना समय   लगेगा तुम तक   पहुँचने में   सोचती थी कैसे कटेंगे    ये पल छिन    बीत गया एक    बरस तुम्हारे बिन    बंद हुए अब मन के    सारे द्वार    रुक गया है मेरा    प्रति स्पंदन    रह रह कर टीसती   है वेदना   और बूँद बूँद आँखों के   कोनों से झड़ती   है  चुपचाप   तुम नहीं हो मेरे पास
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चरित्र | तस्लीमा नसरीन  तुम लड़की हो,  यह अच्छी तरह याद रखना  तुम जब घर की चौखट लाँघोगी  लोग तुम्हें टेढ़ी नज़रों से देखेंगे  तुम जब गली से होकर चलती रहोगी  लोग तुम्हारा पीछा करेंगे, सीटी बजाएँगे  तुम जब गली पार कर मुख्य सड़क पर पहुँचोगी  लोग तुम्हें बदचलन कहकर गालियाँ देंगे  तुम हो जाओगी...
Published 09/27/24
पढ़ना मेरे पैर | ज्योति पांडेय मैं गई  जबकि मुझे नहीं जाना था।  बार-बार, कई बार गई।  कई एक मुहानों तक  न चाहते हुए भी…  मेरे पैर मुझसे असहमत हैं,  नाराज़ भी।  कल्पनाओं की इतनी यात्राएँ की हैं  कि अगर कभी तुम देखो  तो पाओगे कि कितने थके हैं ये पाँव!  जंगल की मिट्टी, पहाड़ों की घास और समंदर की रेत...
Published 09/26/24
Published 09/26/24