सब शून्य है ImprisonedWisdom
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- Society & Culture
अंत में सब कुछ "शून्य" है, अगर कुछ खास है तो वो बस इसी शून्य से पहले के क्षण हैं ...
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इश्क़ जुनूं है कि हवस? ख़ुदा जाने.. दिल नमाज़ी है कि काफिर? ख़ुदा जाने..
Tribute to #IrrfanKhan & #RishiKapoor फ़िल्म -मक़बूल (2004)
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रेशम डोर से भी पतली "आशा" पर इश्क़ ज़िंदा रह सकता है... बस तुम हौसला रखना ❣️
तुम्हारा आना जैसे "जयपुर महोत्सव" था....
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#Philosophy
It's about the life, how it fluctuates and fizzle out at the end.... अंत में सब कुछ शून्य है !