Piya tori uchi re atariya
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Description
‘‘पिया तेरी ऊँची रे अँटरिया’’ - प्रभु की अट्टालिका आकाशवत् है, प्रकृति से अतीत। नाम की डोर से समीप पहुँचने पर चाँद और सूर्य जैसे दीपक पथ में प्रलोभन देकर उलझा लेते हैं। उन्हें पार करने पर दसवें द्वार ब्रह्मरन्ध्र में सुरत स्थिर होते ही स्थिति मिल जाती है और इन सब का सारा श्रेय सद्गुरु को जाता है। #Kabir #Mira #Sadhguru
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आसरा के घीउआ :- विरह भगवत्प्रेम को जगाये रखता है । उनसे मिलन की आशा ही प्रेम को जीवित रखता है । प्रभु के निरंतर स्मरण पर बल दे रहा है यह भजन । #Kabir #Mira #Sadhguru #Guru
Published 08/21/17
Published 08/21/17
मन बनजा वैरागी :- सांसारिक वैभव और भोगों का त्याग किए बिना भगवत्प्राप्ति दुष्कर है । भोगों की नश्वरता का प्रतिपादन करने वाला प्रेरणादायक यह भजन ।
Published 08/21/17