“परम आदरणीय बीबीसी मैं आपको रेडियो के ज़माने से सुनता आ रहा हूँ, लगभग 1994 से किसी दूसरे के रेडियो पर जाकर सुनते थे उस वक्त मेरी उम्र बमुश्किल 13-14 वर्ष रही होगी। सन 2000 में खुद का रेडियो आ गया था ओर किसी के पास जाकर सुनने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी बल्कि मैं गाँव में रहता था तब दस पाँच लोगों से घिर कर सुनता था ओर जब पढ़ाई के लिए बाहर शहर गये तो साथी विद्यार्थियों के साथ बैठकर सुनते थे। गाँव में रहते पहाड़ों में नेटवर्क नहीं आता था तो भिन्न भिन्न प्रयोग करते रहते थे, जैसा कि अचला जी व ओंकार नाथ जी श्रोताओं के अनुभव चिट्ठियाँ पढ़ कर सुनाया करते थे, पर मैं कभी बीबीसी को लिख नहीं पाया, शायद संकोच वश या फिर शायद इसलिए कि अपना ख़त कौन पढ़ेगा।
रेडियो के आउटडेटेड हो जाने के बाद ओर रिलायंस जीयो की कृपा से डेटा सस्ता होने पर काफ़ी समय तक यूट्यूब पर देखा ओर सुना भी परन्तु रेडियो वाली फ़ीलिंग नहीं आई।
जब से मुझे पता चला कि आप का दैनिक प्रसारण एप्पल पोडकास्ट पर भी आता है तब से मानो फिर से उन्हीं दिनों को महसूस करने लगा हूँ जो रेडियो के ज़माने में होता था ।
परन्तु एप्पल पोडकास्ट पर शायद श्रोता बहुत कम हैं, ओर जो हैं उन पर भी आपका ध्यान नहीं है, आप शुरुआत में तो समय पर प्रसारण अपलोड करते थे पर इन दिनों तो बेइंतजामी की हद हो गई कोई प्रसारण समय पर नहीं आता दो तीन की देरी तो सामान्य बात हो गई। आप लोगों से हाथ जोड़कर निवेदन है कि इसे नियमित रूप से एप्पल पोडकास्ट पर डालें ताकि हम जैसे अत्यधिक व्यस्त दिनचर्या वाले भी नियमित रूप से सुन सकें व रेडियो वाला अनुभव भी ज़िंदा रख सकें।
यहाँ मैं तीन स्टार रेटिंग दे रहा हूँ बीबीसी को तो पाँच में से पाँच हैं पर ये अव्यवस्था फैलाने वाले लोगों की लापरवाहियों के चलते तीन भी ज़्यादा लग रहे हैं। आशा है आप लोग ध्यान देंगे।
डॉ. कमलेश काँवर”
Dr Kamlesh Kaanwar via Apple Podcasts ·
India ·
11/17/22