"पत्तियाँ यह चीड़ की"- Naresh Saxena's Hindi Poetry | Poetry | Kavitaen | Hindi Kavita
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Description
Shoonya Theatre group presents Naresh Saxena's  "पत्तियाँ यह चीड़ की", in this unique and creative art project we try to explore possibilities of Hindi poem through sound ,music and power of narration. पत्तियाँ यह चीड़ की सींक जैसी सरल और साधारण पत्तियाँ यदि न होतीं चीड़ की तो चीड़ कभी इतने सुंदर नहीं होते नीम या पीपल जैसी आकर्षक होतीं यदि पत्तियाँ चीड़ की तो चीड़ आकाश में तने हुए भालों से उर्जस्वित और तपस्वियों से स्थितिप्रज्ञ न होते सूखी और झड़ी हुई पत्तियाँ चीड़ की शीशम या महुए की पत्तियों सी पैरों तले दबने पर चुर्र-मुर्र नहीं होतीं बल्कि पैरों तले दबने पर आपको पटकनी दे सकती हैं खून बहा सकती हैं प्राण तक ले सकती हैं पहाड़ी ढलानों पर साधारण, सरल और सुंदर यह पत्तियाँ चीड़ की Do listen , if you like our art work appreciate us by sharing and subscribing our channel . Instagram : https://www.instagram.com/shoonya_theatre/ Facebook : https://www.facebook.com/ShoonyaProductions/ Website : https://www.shoonyatheatregroup.com/ --- Send in a voice message: https://anchor.fm/shoonya-theatre-group/message
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Published 11/20/22
Published 11/20/22
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Published 09/11/22