"सलाखें"- Rama Yadav's Hindi Quote | Hindi poetry| Hindi Lines | Hindi Panktiyan
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Description
#HindiKavita#Kavita#HindiPoetry#Hindipoem# Shoonya Theatre group presents Rama Yadav's  "सलाखें", in this unique and creative art project we try to explore possibilities of Hindi poem through sound ,music and power of narration. सलाखें सलाख़ों में बंद इंसानियत किससे सवाल करे ????? त्राहि-त्राहि मची है पर सुनवायी नहीं... सलाख़ों में बंद से हो गए... चाहे घर के अंदर हों या बाहर ..ये सलाख़ें ग़ैर ज़िम्मेदारी की कब टूटेंगी ? पता नहीं....मनुष्यता की बात करते -करते कब मनुष्य होने के धर्म से ही आँख मूँद ली पता ही नहीं ... आस -पास जो हो रहा है उसके लिए कौन ज़िम्मेदार है ... आज फिर से घर में ही हार रहे हैं हम कुछ तो ग़ैर ज़िम्मेदार हुए ही होंगे हमारे लोकतंत्र के रखवाले और कब तक अब ये जंग और कितने नमन अब नहीं सहा जाता ख़ामोश हो ये जंग अब  Do listen , if you like our art work appreciate us by sharing and subscribing our channel . Instagram : https://www.instagram.com/shoonya_theatre/ Facebook : https://www.facebook.com/ShoonyaProduc --- Send in a voice message: https://anchor.fm/shoonya-theatre-group/message
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Shoonya Theatre group presents Naresh Saxena's  "सीढ़ियाँ", in this unique and creative art project we try to explore possibilities of Hindi poem through sound ,music and power of narration. सीढ़ियाँ सीढ़ियाँ  चढ़ते हुए जो उतरना  भूल जाते हैं वे घर नहीं  लौट पाते क्योंकि...
Published 11/20/22
Published 11/20/22
Shoonya Theatre group presents Naresh Saxena's  "औकात", in this unique and creative art project we try to explore possibilities of Hindi poem through sound ,music and power of narration. औकात वे पत्थरों को पहनाते हैं लँगोट पौधों को चुनरी और घाघरा पहनाते हैं वनों, पर्वतों और आकाश की नग्नता...
Published 09/11/22