"बादलों ने रंग क्यों बदला"- Rama Yadav's Hindi Quote | Hindi poetry| Hindi Lines | Hindi Panktiyan
Description
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Shoonya Theatre group presents Rama Yadav's "सलाखें", in this unique and creative art project we try to explore possibilities of Hindi poem through sound ,music and power of narration.
बादलों ने रंग क्यों बदला /
प्रकृति रूठ गयी है ...
कला ..का भारी नुक़सान
तानसेन के लिए कहा जाता है कि जब वो दीपक राग गाते थे तो दीपक स्वतः ही जल उठते थे ...
राग मल्हार गाते तो बादल उमड़ -घुमड़ कर आ जाते बरसने लगते
प्रकृति का गहरा रिश्ता रहा है भारत के साथ । आज लगता है जैसे उस अटूट सम्बंध को गहरी ठेस लगी है ..प्रकृति रूठ सी गयी है कैसे मनाएँ ...क्या करें ...
आम जन -ख़ास जैन भाग रहा है कि कैसे ख़ुद को बचा लें
कलाकार जा रहे हैं
सितार -गायन सूना पड़ा है
बादलों अपना रंग न बदलों ...हे माँ प्रकृति अपनी कृपा दृष्टि हम पर बनाओ ...इस धारा को अपनी करूण ममता से सींचो ...
तस्वीर : हंगरी की कलाकार जुदित मारिया की
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Shoonya Theatre group presents Naresh Saxena's "सीढ़ियाँ", in this unique and creative art project we try to explore possibilities of Hindi poem through sound ,music and power of narration.
सीढ़ियाँ
सीढ़ियाँ
चढ़ते हुए
जो उतरना
भूल जाते हैं
वे घर नहीं
लौट पाते
क्योंकि...
Published 11/20/22
Shoonya Theatre group presents Naresh Saxena's "औकात", in this unique and creative art project we try to explore possibilities of Hindi poem through sound ,music and power of narration.
औकात
वे पत्थरों को पहनाते हैं लँगोट
पौधों को चुनरी और घाघरा पहनाते हैं
वनों, पर्वतों और आकाश की नग्नता...
Published 09/11/22