Hindi Diwas Facts | Daily Trending Status Updates | Hindi me jankariyan
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#HindiDiwas #Hindi #hindimejankariyan निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।। विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार। सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार।। यानी अपनी भाषा से ही उन्नति संभव है, क्योंकि यही सारी उन्नतियों का मूलाधार है। मातृभाषा के ज्ञान के बिना हृदय की पीड़ा का निवारण संभव नहीं है। विभिन्न प्रकार की कलाएँ, असीमित शिक्षा तथा अनेक प्रकार का ज्ञान, सभी देशों से जरूर लेने चाहिये, परन्तु उनका प्रचार मातृभाषा के द्वारा ही करना चाहिये। भारत की राजभाषा हिंदी को 370 मिलियन लोग अपनी मातृभाषा के रूप में जबकि दुनिया भर में लगभग 490 मिलियन लोग उपयोग करते हैं , जो की दुनिया में सबसे ज्यादा समझे जाने वाली दूसरी भाषा है।   भारत में लगभग 40% आबादी हिंदी बोलती है , वहीं दक्षिण अफ्रीका, मॉरीशस, न्यूजीलैंड, सूरीनाम, फिजी, नेपाल और त्रिनिदाद और टोबैगो जैसे कुछ विदेशी देशों में भी हिंदी बोली जाती है। हिंदी का सबसे पुराना रूप अपभ्रंश था। 400 ईस्वी में, प्रसिद्ध भारतीय साहित्यिक नाटक, कालिदास, ने विक्रमोरश्वियम् नामक अपभ्रंश में एक रोमांटिक नाटक लिखा था।  14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपी में लिखी हिंदी को राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया था।  1805 में लल्लूलाल द्वारा लिखी गई पुस्तक प्रेम सागर को हिंदी की पहली किताब माना जाता है। इसका प्रकाशन फोर्ट विलियम कोलकाता ने किया था। 1913 में दादा साहेब फाल्के ने ‘राजा हरिश्चंद्र’ का निर्माण किया, जिसे पहर्ली हिंदी फीचर फिल्म कहा जाता है। जबकि पहली बोलती हुर्ई हिंदी फिल्म आलम आरा थी  1977 में पहली बार तत्कालीन विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी में संयुक्त राष्ट्र की आम सभा को संबोधित किया था।  सात भाषा
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Published 03/13/22