47: मैं साइमन न्याय के कटघरे में खड़ा हूं | Ramashankar Yadav 'Vidrohi' | Urdu Shayari | Famous Poetry | Life of a poet
Description
आज का ख़याल - मैं साइमन न्याय के कटघरे में खड़ा हूं...
'विद्रोही' को इस खयाल में बेबीलोनिया से लेकर मेसोपोटामिया तक प्राचीन सभ्यताओं के मुहाने पर एक औरत की जली हुई लाश और इंसानों की बिखरी हुई हड्डियां मिलती हैं, जिसका सिलसिला अंतत: सीरिया के चट्टानों से लेकर बंगाल के मैदानों तक चला जाता है।
सुनिए उनका ये ख़याल @radiokabachchan के साथ।