मुनव्वर राना को अपनी ख़रीदी गाड़ी से क्यों नफ़रत हो गई थी?: नामी गिरामी, Ep 235
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एक शायर था. दुनिया उसे मां पर कहे शेरों से जानती थी. मुहाजिर उसके मुहाजिरनामा के शेर पढ़ कर खुश होते थे.  सरकारें उसे इनाम देती थीं. विवाद से उसका नाता भी था.  लेकिन आज के 8 बरस पहले उसने तय किया कि वो कोई सरकारी सम्मान या पुरस्कार नहीं लेगा.और ताज़िन्दगी उसने इसे फॉलो भी किया क्योंकि उसे लगता था कि हुकूमत और ये समाज कमज़ोरों के साथ ज्यादती कर रहे हैं. उर्दू का ये शायर हिंदी के काशीनाथ सिंह के साथ कंधा मिला कर खड़ा था और बगावत की लौ को तेज़ कर रहा था.दुनिया उसे मुनव्वर राना के नाम से जानती है. सुनिए मुनव्वर राणा की जिंदगी के सुने-अनसुने किस्से 'नामी गिरामी' के इस एपिसोड में. प्रोड्यूसर - रोहित अनिल त्रिपाठी  साउंड मिक्स - सचिन द्विवेदी 
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पिछले चार दशकों में छठ गीतों का पर्याय बन चुकीं शारदा सिन्हा संगीत के प्रति अंतिम सांस तक ईमानदार बने रहने की अनूठी मिसाल थीं. 'बिहार कोकिला' के नाम से मशहूर शारदा सिन्हा ने स्त्रियों के विरह और सुख-दुख को संगीतमय अभिव्यक्ति दी. मैथिली और भोजपुरी गीतों में उनका योगदान बेहद अनूठा रहा. सुनिए उनकी...
Published 11/11/24
Published 11/11/24
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Published 11/04/24