अबे कोई तो रोक लो इस रांझे को। कोई तो आवाज़ दे दो। पर मेरी लाइफ में कोई नहीं था जो इस रांझे को रोक लेता। वो कहते हैं न, साला वो इश्क़ ही क्या, जिसमे कुर्बानी न हो। इसी तरह उसे चाहना तो मेरे बस में नहीं था, पर उसके लिए मरना मेरे बस में जरूर था। हर इश्क़ की एक अपनी कहानी होती थी, इस इश्क़ भी अपनी एक...
Published 06/07/20