261. Vayviya Samhita (Uttar Khand) Adhyay - 41 / वायवीय संहिता (उत्तरार्द्ध) - इकतालीसवां अध्याय
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"भगवान् नन्दी का वहाँ आना और दृष्टिपात मात्र से पाशछेदन एवं ज्ञानयोग का उपदेश कर के चला जाना, शिवपुराण की महिमा तथा ग्रन्थ का उपसंहार"
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मृत्युञ्जय महारुद्र त्राहि मां शरणागतम्जन्म मृत्युजरारोगैः पीड़ितं कर्म बन्धनैः ।।१।।मन्त्रेणाक्षर हीनेन पुष्पेण विफलेन चपूजितोसि महादेव तत्सर्वं क्षम्यतां मम ।।२।।करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वाश्रवननयंजं वा मानसं वापराधम् ।।३।।विहितमविहितं वा सर्वमेततक्षमस्वजय जय करुणाब्धे श्री महादेवशम्भो...
Published 08/25/23
Published 08/25/23
"वायुदेव का अन्तर्धान, ऋषियों का सरस्वती में अवभृथ- स्नान और काशी में दिव्य तेज का दर्शन कर के ब्रह्माजी के पास जाना, ब्रह्मा जी का उन्हें सिद्धि-प्राप्ति की सूचना देकर मेरु के कुमार-शिखर पर भेजना"
Published 08/25/23