Khubsurat Shayari. Hum peeth peeche kisi ko bura nhi kahte chalo khush raho tm munhpr to hum...
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ye kuch shayri hain dosto Maine khud likhi h . khud padh kar aap logon ko sunaeee h pasand aeee ho to like krein Channel ko subscribe krlein. share krein. Zindagi k Chand haqaiq (Sachaee) ko bayaan krti huee shayri h . Achi lage to apna pyar dein. poet :- Faiz Ahmed Recited by :- Faiz Ahmed ख़ुश हो रहे तुम बस्तियां जलाकर पर मेरा ख़ुदा कहता है, किसी का घर जला कर कौन ख़ुश रहता है.. कई हसीं मंज़र , कई हसीं लोग देखे हैं, क़त्ल करके सोग मनाते हुए लोग देखे हैं , सच बोल कर हम तो ख़्वार हुए, झूठों के हाथों में हांथ हमने एसे भी फ़रेब देखे हैं हम पीठ पीछे किसी को बुरा नहीं कहते, चलो ख़ुश रहो तुम , मुंह पर तो हम बुरों को भी बुरा नहीं कहते... उम्र में क्या रखा है, इन्सां की उम्र उसकी अक़ल बताती है, मुझे नादां न समझ, समझ में तेरी हर बात आती है...
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Poet. Allama Iqbal. Recital Faiz Ahmed.
Published 02/13/22
Published 02/13/22
Written by :- Faiz Ahmed. Recited by :- Faiz Ahmed. Record and presented by:- Alfaz e Qalb. Search Alfaz e Qalb on YouTube.
Published 08/05/21