Jo ishq karta hai kab khandaan dekhta hai. Shayari
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Description
Best of Shakeel Azmi Poet :- Shakeel Azmi. Recited by :- Faiz Ahmed. دل کو دیکھا تو کچھ زخم پرانے نکلے اسکی مٹّی کو قریدا تو خزانے نکلے شہر میں جو کرتا تھا سانپ کاٹے کا علاج اسی کے تھانے سے سانپوں کے پیارے نکلے. پروں کو کھول زمانہ اڑان دیکھتا ہے زمیں پہ بیٹھ کے کیا آسمان دیکھتا ہے ملا ہے حسن تو اس حسن کی حفاظت کر سنبھل کے چل تجھے سارا جہان دیکھتا ہے کنیز ہو کوئی یا کوئی شاہزادی ہو جو عشق کرتا ہے کب خاندان دیکھتا ہے یہی وہ شہر جو میرے لبوں سے بولتا تھا یہی وہ شہر جو میری زبان دیکھتا ہے दिल को देखा तो कुछ ज़ख़्म पुराने निकले इसकी मिट्टी को कुरेदा तो ख़ज़ाने निकला शहर में जो करता था साँप के काटे का इलाज उसी के तहख़ाने से साँपो के पिटारे निकला। परों को खोल ज़माना उड़ान देखता है ज़मीं पे बैठ के क्या आसमान देखता है मिला है हुस्न तो इस हुस्न की हिफ़ाज़त कर सँभल के चल तुझे सारा जहान देखता है कनीज़ हो कोई या कोई शाहज़ादी हो जो इश्क़ करता है कब ख़ानदान देखता है यही वो शहर जो मेरे लबों से बोलता था यही वो शहर जो मेरी ज़बान देखता है
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Poet. Allama Iqbal. Recital Faiz Ahmed.
Published 02/13/22
Published 02/13/22
Written by :- Faiz Ahmed. Recited by :- Faiz Ahmed. Record and presented by:- Alfaz e Qalb. Search Alfaz e Qalb on YouTube.
Published 08/05/21