वो हुस्न और वो जवां रातें
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Neeli jheel ka aqs , raton ki haseen chandni , khwabon ki zamee , wafaon ki haseen waadiyan , jis taraf bhi nazar jaye har uss taraf bepanah husn me machalti qatil adayen ---- kiya kuchh nahi tha usme --- apne masoom lahje me prem ki kisi devi se kam nahi thi vo --------- tabhi to --- vo zawan raten jo uske husn - e - bagwan me guzrin , jab yadon ki bulandiyon se hokar gujarti hain , jab madbhare ahsaason se hokar gujarti hain , jab tan aur man ke rom - rom ko chhoo kr gujarti hain--------   -----kasam se doston kasam se   Na sone deti hain   Kambakhat----na hi rone deti hain   Vo husn aur vo javan raten------
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तू वो ग़ज़ल है मेरी  जिसमें तेरा होना तय है  तू वो नज्म है मेरी  जिसमें आज भी तेरी मौजूदगी तय है  इसलिये नहीं... कि...  तू मेरी दस्तरस में है  बल्कि इसलिये...कि... तू आज भी मेरी नस - नस में है  इसलिए हो चाहे ये कितना ही लंबा सफ़र  ना थकेगा ना रुकेगा ये कारवाँ  ना छूटेगी ये डगर  क्यों...
Published 11/21/24
Published 11/21/24
कैसे भुला पाउंगा उस कठिन वक़्त को...कैसे भुला पाउंगा तुम्हारे उस असहनीय कष्ट को...जब तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में था...और तुम अंतिम साँस लेने की तैयारी कर रही थीं...मगर फ़िर भी मुझसे कुछ कहना चाह रहीं थीं...क्योंकि तुम काल के हाथों विवश होकर हमेशा हमेशा के लिये ना चाहते हुए भी मुझसे दूर जा रहीं...
Published 11/09/24