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तू वो ग़ज़ल है मेरी  जिसमें तेरा होना तय है  तू वो नज्म है मेरी  जिसमें आज भी तेरी मौजूदगी तय है  इसलिये नहीं... कि...  तू मेरी दस्तरस में है  बल्कि इसलिये...कि... तू आज भी मेरी नस - नस में है  इसलिए हो चाहे ये कितना ही लंबा सफ़र  ना थकेगा ना रुकेगा ये कारवाँ  ना छूटेगी ये डगर  क्यों कि... तेरा मेरा है प्यार अमर.....।
Published 11/21/24
Published 11/21/24
कैसे भुला पाउंगा उस कठिन वक़्त को...कैसे भुला पाउंगा तुम्हारे उस असहनीय कष्ट को...जब तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में था...और तुम अंतिम साँस लेने की तैयारी कर रही थीं...मगर फ़िर भी मुझसे कुछ कहना चाह रहीं थीं...क्योंकि तुम काल के हाथों विवश होकर हमेशा हमेशा के लिये ना चाहते हुए भी मुझसे दूर जा रहीं थीं...एक आह...एक दर्द के साथ...जाते जाते मुझको दी गई परंतु मुझसे ना सुनी गई तुम्हारे अंतर्मन की एक आवाज़ अब कहाँ कहाँ ढूंढूं तुम्हें...औऱ तुम्हारी आवाज़ को भी...कहाँ कहाँ ढूंढूं.... कहाँ चली गई...
Published 11/09/24
दिल टूट जाने के बाद ...ये दिल दिल ना रहा इस दिल में कुछ भी ना रहा... अगर कुछ रहा तो बस... तेरा ही नाम...तेरा ही दर्द ... छुपा रहा...... Heartbreak leaves us in pieces, but somewhere amidst the pain and sorrow, love still lingers. In this heartfelt episode of #DhadkaneMeriSun, we dive deep into the emotions that follow a broken #relationship. How do we pick up the fragments of our heart when all that remains is the name of the one we loved, and their memories etched in our soul? Join us...
Published 10/11/24
एक इश्क़  दो दिल  फिर बेहद प्यार  और फिर...बेइंतहा ...इंतजार  शायद इसीलिए.... .......तेरी राह तकते तकते          मेरी उम्र गुजर गई ....... In this heartfelt episode of 'Dhadkane Meri Sun,' we dive into the emotions of longing and love in 'Waiting for You - Tera Intezaar.' Join us as we explore the beauty of waiting, the hope it brings, and the tender moments that make the wait worthwhile. Tune in to feel the pulse of love and the rhythm of romance.
Published 09/01/24
ज़रा आँखों में मोहब्बत की तिश्नगी पिरोईये  फिर हसरतों को सावन की मस्तियों में भिगोईये  और फिर देखिये-ऐसे लगेगा जैसे.... कहीं बारिश की हर बूंद में प्यार बरस रहा है  तो कहीं दौर-ए-मोहब्बत की पुरानी यादों में  भीगा तन मन बूंद बूंद को तरस रहा है.
Published 08/03/24
अब लफ्जों में हैं उसके खामोशियां अब रही ना वो पहले सी नजदीकियां आती नहीं मुझको अब हिचकियाँ जाती नहीं मन से क्यूं सिसकियाँ याद आती हैं उसकी वो सरगोशियां कहता था उसको मैं "मासूम" तब उसकी मासूमियत ये क्या हो गया वो जो मुझसे मिला मेरी जां हो गया मोहब्बत भरी दास्ताँ हो गया संग मेरे चला अंग भी वो लगा रफ्ता रफ़्ता मेरी जाने जां हो गया वो मासूम इश्क़ वो मासूम इश्क़  वो मासूम इश्क़
Published 08/02/24
कभी तेरे नैनों पे लिखा  तो कभी नैनों के मोतियों पे लिखा  कभी तेरे मासूम चेहरे पे लिखा  तो कभी चेहरे की मासूमियत वाली बातों पे लिखा  कभी इश्क़- ए -मिजाजी पे लिखा तेरी  तो कभी इश्क़ - ए-दगाबाजी पे लिखा  कभी ग़ज़ल लिखी कभी गीत लिखा  तो कभी खत-ए-मोहब्बत लिखा 
Published 06/29/24
मेरी सांसों में रहती है  मगर आँखों से बहती है  मैं तुझ बिन जी नहीं सकता  धड़कने मेरी कहती हैं  जो मिल जायेंगे मैं और तुम  ज़मी जन्नत बनाऊंगा  अमीरी हो या फकीरी हो  सभी नखरे उठाऊंगा  ज़माने भर की हर रौनक  तेरे कदमो में लगाऊंगा  कहेंगे लोग पागल जो  गुज़र हद से भी जाऊँगा  मरे सीने से लग के बस  इतना सा ही कह दे तू  मैं तेरी हूँ  मै तेरी हूँ  मैं तेरी हूँ..........
Published 06/15/24
उसने अपने खत में लिखा.... ये कैसा प्यार है तेरा... बिस्तर में सलवटें ही नहीं पड़ती, सलवटें पड़े भी तो कैसे... क्योंकि...तू वहाँ ... मैं यहाँ.... ये कैसा खुदा है मेरा .... धरती प्यास से तड़प रही है मेघ हैं कि बरसने का नाम ही नहीं लेते मेघ बरसे भी तो कैसे.... क्यों कि ... तू वहाँ... मैं यहाँ .... वो अक्सर अपने खत में लिखा करती थी........... रातां बिन यारा तेरे नहीं कटती In this episode of Dhadkane Meri Sun, we delve into the poignant letters of a lover separated by distance. She writes with a...
Published 06/01/24
क्या खूब समा था  इश्क़ के महीने में - इश्क़ जवां था  मौसम के थे नजारे  आंखों के थे इशारे  बातों में कशिश थी इतनी  लहजे में तपिश थी इतनी  जिस्म था - आग थी  हर छुअन में एक धुआं था  हसीना थी कमसिन  दीवाना जवां था  इश्क़ के महीने में इश्क़ भी जवां था  .....ऐसे ही थे एहसास हमारे.....
Published 05/18/24
Dive into the heart of romance this Valentine's Day with "Half Love-Incomplete Dream." A tale of love's complexities and unfulfilled dreams, poetically captured in Dr. Rajnish Kaushik's stirring words: "आधा प्रेम जड़ है अनंत पीड़ा की, जिसमें अधूरे ख्वाब पनपते हैं। चलो छोड़ो मोहब्बत की बातेँ, खुद से लड़ कर खुद ही में सिमटते हैं।" Experience the intertwining of love, sorrow, and self-discovery. Join us in this emotional odyssey on "Dhadkane Meri Sun" – where every heartbeat tells a story.
Published 02/22/24
ये छेड़छाड़ , ये आवारगी , और ये दास्ताँ-ए-मोहब्बत उस रोज़ उस रात की तन्हाई की है दोस्तों,जब हम भी मूड में थे और वो भी........ ......मगर... with full dedication. 
Published 12/08/23
Embark on a Soulful Journey with 'Those Moments'! Listen now on Spotify, Amazon, and JioSaavn! Capturing the essence of unforgettable moments, this episode on #Dhadkane MeriSun podcast by Dr. Rajnish Kaushik is a must-listen! Join us for a heartfelt experience filled with soulful music, emotions, and cherished memories.
Published 11/04/23
उल्फत की बातेँ जन्मों के वादे वो रस्में वो कसमें और जन्नत सी रातें कितने जवां और कितने थे पक्के पत्थर की मानिंद तेरे इरादे फिर भी तूने जुल्म ये ढाया क्यूँ बेवफा मुझे इतना रुलाया मोहब्बत थी या फिर आवारगी थी कैसी वो तेरी दीवानगी थी कैसी वो तेरी दीवानगी थी........
Published 10/15/23
तुम जो धड़कती थी सीने में जिंदगी बनकर.....मेरे ज़िस्म मेरे शरीर में मेरी रूह बनकर.....मेरे दिल के हर हिस्से में दौड़ते रक्त प्रवाह की मानिंद..... कहीं तुम्हें कोई दर्द ना हो  मेरी वज़ह से तुम्हें कोई आघात ना हो...मेरे प्रेम की निरंतरता उसकी एकाग्रता भंग ना हो  नीरसता का एक अंश भी घर ना कर पाए हमारे प्रेम के अहसासों में.... शायद इसीलिए......तुम्हारी वह मोहब्बत जो अक्सर मुझसे  छुअन मांगती थी मैंने तुम्हारे मोह का त्याग कर दिया.....क्योंकि.... वह चंचल मन मेरा बार बार तुमसे कहता था...... ...
Published 09/20/23
अनुभवी लोग कहते हैं कि मोहब्बत की गांठ भले ही कच्ची डोर से क्यों ना बंधी हो मगर अनंत प्रेम की कड़ियों से जुड़ी होती है अनंत से अनंत तक आपके साथ खड़ी होती है कल भी आज भी.. ...... सांसों के साथ भी... सांसों के बाद भी
Published 07/24/23
जवानी जब से बहकी थी उसी का नाम लेती थी मोहब्बत प्यास है उसकी यही पैगाम देती थी  मैं मजनूं था मैं रांझा था वो लैला हीर जैसी थी  मेरी चाहत के  ज़ज्बो को मेरा ईमान कहती थी  मगर अब.... जो समझती थी इशारों को इशारों ही इशारों में  भुलाके  उन नज़ारो को मेरा अब दिल दुखाती है  ना कहती है ना सुनती है बड़ी खामोश रहती है  मेरे इश्क़-ए- बहारा में वो तीर-ए-ग़म चलाती है  ज़माना मुझसे कहता है दीवाने क्यूँ तू रोता है  उसे कैसे मैं समझाऊं यही तो प्यार होता है.....
Published 05/26/23
वो लम्हे सिर्फ एक अह्सास ही नहीं थे, एक जिन्दगी जी रहे थे हम, कितनी रस्मों को निभाने की कसमें खा रहे थे हम, निश्छल और निस्वार्थ भावनाएं हम दोनों की दीवानगी में स्पष्ट नज़र आ रही थी..... वैसे भी 16 - 17 की उम्र में छल फरेब कहाँ होता है मन में....बस प्रेम होता है...प्रेम ही होता है
Published 05/10/23
मैं आज भी वहीं हूँ मेरी चाहते और मेरा इश्क़ भी वहीं ठहरा हुआ है उसी मोड़ उसी राह पर जहाँ जुदा हुए थे हम.....बस...मैं ही कुछ पत्थर सा हो चुका हूँ और पत्थरों से टकराता हूँ मंजिलों की तलाश में हर रोज हर लम्हा और टूट कर बिखर जाता हूँ हर रोज हर लम्हा....कभी वक़्त मिले और उन्हीं राहों पर  चलने की हूक उठे तेरे मन में...तो कभी आ...आ कभी और रख मेरे दिल पे हाथ और सुन पत्थरों से टकरा कर टूट कर बिखर जाने की आवाज मेरे करीब आके सुन.....धड़कने मेरी सुन.....धड़कने मेरी सुन 
Published 04/28/23
तू कहती थी तेरी ही हूँ मैं  तू कहती थी तेरी  रहूंगी  बगावत भी कर लूँगी जग से  तेरी होने को सब कुछ सहूंगी समंदर की तरहा तू रहना  मैं नदिया सी संग संग बहूँगी दर्द तूने दिया मर मिटा मैं  लोग कहते हैं तू बेगुनाह थी  आखिरी सांस तक तुझको चाहूँ  तू क्या जाने तू मेरा खुदा थी  बेपनाह इश्क़ करता था तुझसे  मेरे जीने की तू ही वज़ह थी 
Published 04/20/23
माना के उस वक़्त.....मैं वो हस्ती  नहीं था के तुझे सोने के रथ पर बिठा कर आसमा की सैर करा पाता.... मैं वो हस्ती भी नहीं था के तेरे मरमरी बदन को हीरे जवाहरात  से सजा पाता.....तुझपे मोती लुटा पाता.... मगर...मैं वो दीवाना जरूर था जिसे तेरे होठों की एक एक मुस्कुराहट पे तबाह हो जाना मंजूर था... ...मैं वो परवाना जरूर था जिसे तेरी एक एक खुशी के लिए जलकर फनाह होता जाना भी मंजूर था... याद हैं ना तुझे ...वो लम्हे हमारी मौहब्बत के... क्या याद है तुझे आज भी.. वो सूरज की तपिश  वो सफ़र- ए - इश्क़  ...
Published 04/13/23
अब लफ्जों में हैं उसके खामोशियां   अब रही ना वो पहले सी नजदीकियां   आती नहीं मुझको अब हिचकियाँ   जाती नहीं मन से क्यूं सिसकियाँ   याद आती हैं उसकी वो सरगोशियां   कहता था उसको मैं "मासूम" तब   उसकी मासूमियत ये क्या हो गया   वो जो मुझसे मिला मेरी जां हो गया   मोहब्बत भरी दास्ताँ हो गया   संग मेरे चला अंग भी वो लगा   रफ्ता रफ़्ता मेरी जाने जां हो गया   वो बेपनाह इश्क़    वो बेपनाह इश्क़ 
Published 04/05/23
इश्क़ की राह में मन भटकने लगा  खुशबु - ए - यार में तन अटकने लगा  प्यार धोखा है एक इल्म जब ये हुआ  दिल शीशा था मेरा चटकने लगा.....
Published 03/30/23
कुछ तेरी कुछ मेरी बातेँ होती थीं  ...याद है ना तुझे...कुछ ऐसी भी रातें होती थीं  ... रातों के वो हसीन लम्हे जिनमें होती थीं...कुछ  .....बदमाशियां तेरी  और कुछ  .....गुस्ताखियां मेरी 
Published 03/23/23