Description
मैं आज भी वहीं हूँ मेरी चाहते और मेरा इश्क़ भी वहीं ठहरा हुआ है उसी मोड़ उसी राह पर जहाँ जुदा हुए थे हम.....बस...मैं ही कुछ पत्थर सा हो चुका हूँ
और पत्थरों से टकराता हूँ मंजिलों की तलाश में हर रोज हर लम्हा और टूट कर बिखर जाता हूँ हर रोज हर लम्हा....कभी वक़्त मिले और उन्हीं राहों पर
चलने की हूक उठे तेरे मन में...तो कभी आ...आ कभी और रख मेरे दिल पे हाथ और सुन पत्थरों से टकरा कर टूट कर बिखर जाने की आवाज मेरे करीब आके सुन.....धड़कने मेरी सुन.....धड़कने मेरी सुन