TU HI THI.... MERE JEENE KI VAZAHA
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Description
तू कहती थी तेरी ही हूँ मैं  तू कहती थी तेरी  रहूंगी  बगावत भी कर लूँगी जग से  तेरी होने को सब कुछ सहूंगी समंदर की तरहा तू रहना  मैं नदिया सी संग संग बहूँगी दर्द तूने दिया मर मिटा मैं  लोग कहते हैं तू बेगुनाह थी  आखिरी सांस तक तुझको चाहूँ  तू क्या जाने तू मेरा खुदा थी  बेपनाह इश्क़ करता था तुझसे  मेरे जीने की तू ही वज़ह थी 
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तू वो ग़ज़ल है मेरी  जिसमें तेरा होना तय है  तू वो नज्म है मेरी  जिसमें आज भी तेरी मौजूदगी तय है  इसलिये नहीं... कि...  तू मेरी दस्तरस में है  बल्कि इसलिये...कि... तू आज भी मेरी नस - नस में है  इसलिए हो चाहे ये कितना ही लंबा सफ़र  ना थकेगा ना रुकेगा ये कारवाँ  ना छूटेगी ये डगर  क्यों...
Published 11/21/24
Published 11/21/24
कैसे भुला पाउंगा उस कठिन वक़्त को...कैसे भुला पाउंगा तुम्हारे उस असहनीय कष्ट को...जब तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में था...और तुम अंतिम साँस लेने की तैयारी कर रही थीं...मगर फ़िर भी मुझसे कुछ कहना चाह रहीं थीं...क्योंकि तुम काल के हाथों विवश होकर हमेशा हमेशा के लिये ना चाहते हुए भी मुझसे दूर जा रहीं...
Published 11/09/24