जब...WE MET... SHE WAS SWEET SIXTEEN
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Description
वो लम्हे सिर्फ एक अह्सास ही नहीं थे, एक जिन्दगी जी रहे थे हम, कितनी रस्मों को निभाने की कसमें खा रहे थे हम, निश्छल और निस्वार्थ भावनाएं हम दोनों की दीवानगी में स्पष्ट नज़र आ रही थी..... वैसे भी 16 - 17 की उम्र में छल फरेब कहाँ होता है मन में....बस प्रेम होता है...प्रेम ही होता है
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तू वो ग़ज़ल है मेरी  जिसमें तेरा होना तय है  तू वो नज्म है मेरी  जिसमें आज भी तेरी मौजूदगी तय है  इसलिये नहीं... कि...  तू मेरी दस्तरस में है  बल्कि इसलिये...कि... तू आज भी मेरी नस - नस में है  इसलिए हो चाहे ये कितना ही लंबा सफ़र  ना थकेगा ना रुकेगा ये कारवाँ  ना छूटेगी ये डगर  क्यों...
Published 11/21/24
Published 11/21/24
कैसे भुला पाउंगा उस कठिन वक़्त को...कैसे भुला पाउंगा तुम्हारे उस असहनीय कष्ट को...जब तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में था...और तुम अंतिम साँस लेने की तैयारी कर रही थीं...मगर फ़िर भी मुझसे कुछ कहना चाह रहीं थीं...क्योंकि तुम काल के हाथों विवश होकर हमेशा हमेशा के लिये ना चाहते हुए भी मुझसे दूर जा रहीं...
Published 11/09/24