BEWAFA TERI DEEWANGI
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Description
उल्फत की बातेँ जन्मों के वादे वो रस्में वो कसमें और जन्नत सी रातें कितने जवां और कितने थे पक्के पत्थर की मानिंद तेरे इरादे फिर भी तूने जुल्म ये ढाया क्यूँ बेवफा मुझे इतना रुलाया मोहब्बत थी या फिर आवारगी थी कैसी वो तेरी दीवानगी थी कैसी वो तेरी दीवानगी थी........
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तू वो ग़ज़ल है मेरी  जिसमें तेरा होना तय है  तू वो नज्म है मेरी  जिसमें आज भी तेरी मौजूदगी तय है  इसलिये नहीं... कि...  तू मेरी दस्तरस में है  बल्कि इसलिये...कि... तू आज भी मेरी नस - नस में है  इसलिए हो चाहे ये कितना ही लंबा सफ़र  ना थकेगा ना रुकेगा ये कारवाँ  ना छूटेगी ये डगर  क्यों...
Published 11/21/24
Published 11/21/24
कैसे भुला पाउंगा उस कठिन वक़्त को...कैसे भुला पाउंगा तुम्हारे उस असहनीय कष्ट को...जब तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में था...और तुम अंतिम साँस लेने की तैयारी कर रही थीं...मगर फ़िर भी मुझसे कुछ कहना चाह रहीं थीं...क्योंकि तुम काल के हाथों विवश होकर हमेशा हमेशा के लिये ना चाहते हुए भी मुझसे दूर जा रहीं...
Published 11/09/24