मोहब्बत जो छुअन मांगती थी
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Description
Prem ka seedha sambandh sparsh se hai---sparsh koi bhi ho--- jismani ya mansik ---vah aahat hai prem ki Kisi ko choone ya sochne se hame jo aanand aata hai vah aanand hi prem hai ---mohabbat hai ishq hai Aur yahi vah aanand bhi hai jo hame hamare prem ki pahli khabar deta hai Balki yah kahna bemani nahi hoga ki sparsh hi prem ki bhasha hai Kishi ke sparsh se jitna adhik aanand aayega-prem bhi utna hi adhik gahra hota chala jayega
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तू वो ग़ज़ल है मेरी  जिसमें तेरा होना तय है  तू वो नज्म है मेरी  जिसमें आज भी तेरी मौजूदगी तय है  इसलिये नहीं... कि...  तू मेरी दस्तरस में है  बल्कि इसलिये...कि... तू आज भी मेरी नस - नस में है  इसलिए हो चाहे ये कितना ही लंबा सफ़र  ना थकेगा ना रुकेगा ये कारवाँ  ना छूटेगी ये डगर  क्यों...
Published 11/21/24
Published 11/21/24
कैसे भुला पाउंगा उस कठिन वक़्त को...कैसे भुला पाउंगा तुम्हारे उस असहनीय कष्ट को...जब तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में था...और तुम अंतिम साँस लेने की तैयारी कर रही थीं...मगर फ़िर भी मुझसे कुछ कहना चाह रहीं थीं...क्योंकि तुम काल के हाथों विवश होकर हमेशा हमेशा के लिये ना चाहते हुए भी मुझसे दूर जा रहीं...
Published 11/09/24