DIL HI TO THA ... PATTHAR THODI THA
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Description
वह रिश्ता जो मेरी इबादतों का परिणाम था, वह रिश्ता जो मेरी कोशिशों का अंजाम था , झूठे इक़रार और एतबार के अग्निकुण्ड में स्वाहा हो गया...शायद इसीलिए वह दिल जो जो सिर्फ उसी के लिए धड़कता था, धड़कना भूल गया........दिल ही तो था...पत्थर थोड़ी था...टूट गया
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तू वो ग़ज़ल है मेरी  जिसमें तेरा होना तय है  तू वो नज्म है मेरी  जिसमें आज भी तेरी मौजूदगी तय है  इसलिये नहीं... कि...  तू मेरी दस्तरस में है  बल्कि इसलिये...कि... तू आज भी मेरी नस - नस में है  इसलिए हो चाहे ये कितना ही लंबा सफ़र  ना थकेगा ना रुकेगा ये कारवाँ  ना छूटेगी ये डगर  क्यों...
Published 11/21/24
Published 11/21/24
कैसे भुला पाउंगा उस कठिन वक़्त को...कैसे भुला पाउंगा तुम्हारे उस असहनीय कष्ट को...जब तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में था...और तुम अंतिम साँस लेने की तैयारी कर रही थीं...मगर फ़िर भी मुझसे कुछ कहना चाह रहीं थीं...क्योंकि तुम काल के हाथों विवश होकर हमेशा हमेशा के लिये ना चाहते हुए भी मुझसे दूर जा रहीं...
Published 11/09/24