Description
मैं आज भी खड़ा हूं उन्हीं राह - ए - मंजिलों पे
एक बार आओ जानम मेरी सूनी महफ़िलों में
तेरी हसरतों के अरमाँ कितने हैं लाज़िमी से
मुझे इश्क़ था तुझी से मुझे इश्क़ है तुझी से
कभी आओ और देखो मेरी फैली सी बाहों को
ये अभी भी तरसती हैं तेरी नर्म पनाहों को
ना करूंगा कोई शिकवा ना कहूँगा ग़म किसी से
मुझे इश्क़ था तुझी से मुझे इश्क़ है तुझी से