ऋग्वेद मण्डल 1. सूक्त 22. मंत्र 9
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अग्ने॒ पत्नी॑रि॒हाव॑ह दे॒वाना॑मुश॒तीरुप॑। त्वष्टा॑रं॒ सोम॑पीतये॥ - ऋग्वेद 1.22.9  पदार्थ - (अग्ने) जो यह भौतिक अग्नि (सोमपीतये) जिस व्यवहार में सोम आदि पदार्थों का ग्रहण होता है, उसके लिये (देवानाम्) इकत्तीस जो कि पृथिवी आदि लोक हैं, उनकी (उशतीः) अपने-अपने आधार के गुणों का प्रकाश करनेवाला (पत्नीः) स्त्रीवत् वर्त्तमान अदिति आदि पत्नी और (त्वष्टारम्) छेदन करनेवाले सूर्य्य वा कारीगर को (उपावह) अपने सामने प्राप्त करता है, उसका प्रयोग ठीक-ठीक करें॥ ------------------------------------------------------------ (भाष्यकार - स्वामी दयानंद सरस्वती जी) (सविनय आभार: www.vedicscriptures.in) ------------------------------------------------------------- Whatsapp पर प्रतिदिन वेद मंत्र पाने के लिए यह फ़ॉर्म भरें: https://forms.gle/69N1UTZfc6hNHp5fA Telegram पर हमारे चैनल से जुड़ने के लिए इस लिंक पर जाएँ: https://t.me/+RURCMUKRVBllMmI1 -------------------------------------------------------------- हमारे पॉडकास्ट का अनुसरण करें: Spotify - https://spoti.fi/3sCWtJw Google podcast - https://bit.ly/3dU7jXO Apple podcast - https://apple.co/3dStOfy ------------------------------------------- हमसे संपर्क करें: [email protected] -------------------------------------------- --- Send in a voice message: https://anchor.fm/daily-one-ved-mantra/message
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Published 07/18/22
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Published 07/17/22