ऋग्वेद मण्डल 1. सूक्त 22. मंत्र 21
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तद्विप्रा॑सो विप॒न्यवो॑ जागृ॒वांसः॒ समि॑न्धते। विष्णो॒र्यत्प॑र॒मं प॒दम्॥ - ऋग्वेद 1.22.21  पदार्थ - (विष्णोः) व्यापक जगदीश्वर का (यत्) जो उक्त (परमम्) सब उत्तम गुणों से प्रकाशित (पदम्) प्राप्त होने योग्य पद है (तत्) उसको (विपन्यवः) अनेक प्रकार के जगदीश्वर के गुणों की प्रशंसा करनेवाले (जागृवांसः) सत्कर्म में जागृत (विप्रासः) बुद्धिमान् सज्जन पुरुष हैं, वे ही (समिन्धते) अच्छे प्रकार प्रकाशित करके प्राप्त होते हैं॥ ------------------------------------------- (भाष्यकार - स्वामी दयानंद सरस्वती जी) (सविनय आभार: www.vedicscriptures.in) --- Send in a voice message: https://anchor.fm/daily-one-ved-mantra/message
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Published 07/18/22
Published 07/18/22
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Published 07/17/22