अ॒प्सु मे॒ सोमो॑ अब्रवीद॒न्तर्विश्वा॑नि भेष॒जा। अ॒ग्निं च॑ वि॒श्वश॑म्भुव॒माप॑श्च वि॒श्वभे॑षजीः॥ - ऋग्वेद 1.23.20
पदार्थ -
जैसे यह (सोमः) ओषधियों का राजा चन्द्रमा वा सोमलता (मे) मेरे लिये (अप्सु) जलों के (अन्तः) बीच में (विश्वानि) सब (भेषजा) ओषधि (च) तथा (विश्वशंभुवम्) सब जगत् के लिये सुख करनेवाले (अग्निम्) बिजुली को (अब्रवीत्) प्रसिद्ध करता है, इसी प्रकार (विश्वभेषजीः) जिनके निमित्त से सब ओषधियाँ होती हैं, वे (आपः) जल भी अपने में उक्त सब ओषधियों और उक्त गुणवाले अग्नि को जानते हैं॥
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(भाष्यकार - स्वामी दयानंद सरस्वती जी)
(सविनय आभार: www.vedicscriptures.in)
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