गीता सार – अध्याय 07
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ज्ञानविज्ञानयोग श्री कृष्ण कहते हैं कि ब्रह्माण्ड की हर चीज उनकी ही बनायी हुई है। हर चीज में वे विद्धमान हैं। सूर्य, धरती, ग्रह , नक्षत्र, तारामंडल, ज्ञान , विज्ञान, इन्द्रियां, सुख -दुःख, पाप -पुण्य आदि सब उनके बनाये हुए हैं। जो मनुष्य इस बात को ज्ञान के द्वारा समझ जाते हैं वे ईश्वर को समर्पित हो जाते हैं। जबकि जो संदेह करते हैं वे संसार की भौतिक वस्तुओं को समर्पित हो जाते हैं। और यही उनके दुखों का कारण बना रहता है। उन्हें कभी बैकुंठ (मोक्ष) प्राप्त नहीं होता और बार -बार मृत्यु लोक में जन्म लेना पड़ता है। तथा सांसारिक दुःख भोगने पड़ते हैं। कृपया गीता के अध्ययन को बार बार सुने. प्रस्तुत है अध्याय - 07 धन्यवाद
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पुरुषोत्तमयोग वेदों के सारे ज्ञान का यही निचोड़ है कि मनुष्य को मोह -माया का त्याग कर खुद को ईश्वर के चरणों में समर्पित कर देना चाहिए। यही सबसे बड़ा योग है। मोह -माया के कारण मनुष्य ईश्वर को प्राप्त नहीं कर पाता है। क्युँकि उसका मन, धन व अन्य भौतिक चीजों से प्रेम करने लगता है। इससे वह ईश्वर...
Published 02/14/23
Published 02/14/23
युद्ध के मैदान में अर्जुन देखता है कि सामने कौरवों की सेना खड़ी है। उस सेना में उसके सगे – सम्बन्धी, मित्र, रिश्तेदार, गुरु आदि हैं। जिनसे उसे युद्ध करना था। मैं इनकी हत्या कैसे कर सकता हूँ – यह सोचकर अर्जुन शोक और ग्लानि से भर उठता है। वह अपना धनुष नीचे रख देता है। और अपने सारथी, भगवान श्री कृष्ण...
Published 02/14/23