गीता सार – अध्याय 16
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दैवासुरसम्पद्विभागयोग मनुष्यों में दो तरह की प्रवृति पायी जाती है : देव व् दानव। देव वृत्ति वालों में बहुत से अच्छे गुण होते हैं। जैसे सेवा भाव, संयम, सच्चाई, ईमानदारी, स्वच्छत्ता, शांति, आदि। ये मोक्ष के पात्र होते हैं। इसके विपरीत दानव वृत्ति वाले लोगों में बुरे गुण होते हैं जैसे – घमंड, ईर्ष्या, क्रोध , काम -वासना, हिंसा आदि। ये नरक के पात्र होते हैं। कृपया गीता के अध्ययन को बार बार सुने. प्रस्तुत है अध्याय - 16 धन्यवाद
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पुरुषोत्तमयोग वेदों के सारे ज्ञान का यही निचोड़ है कि मनुष्य को मोह -माया का त्याग कर खुद को ईश्वर के चरणों में समर्पित कर देना चाहिए। यही सबसे बड़ा योग है। मोह -माया के कारण मनुष्य ईश्वर को प्राप्त नहीं कर पाता है। क्युँकि उसका मन, धन व अन्य भौतिक चीजों से प्रेम करने लगता है। इससे वह ईश्वर...
Published 02/14/23
Published 02/14/23
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Published 02/14/23