Description
भारतीय पर्वों में होली एक ऐसा पर्व है, जिसमें संगीत-नृत्य की प्रमुख भूमिका होती है। जनसामान्य अपने उल्लास की अभिव्यक्ति के लिए देशज संगीत से लेकर शास्त्रीय संगीत का सहारा लेता है। इस अवसर पर विविध संगीत शैलियों के माध्यम से होली की उमंग को प्रस्तुत करने की परम्परा है। इन सभी भारतीय संगीत शैलियों में होली की रचनाएँ प्रमुख रूप से उपलब्ध हैं। मित्रों, पिछली तीन कड़ियों में हमने संगीत की विविध शैलियों में राग काफी के प्रयोग पर चर्चा की है। राग काफी फाल्गुनी परिवेश का चित्रण करने में समर्थ होता है। श्रृंगार रस के दोनों पक्ष, संयोग और वियोग, की सहज अभिव्यक्ति राग काफी के स्वरों से की जा सकती है। आज के अंक में हम होली के उल्लास और उमंग की अभिव्यक्ति करती रचनाएँ तो प्रस्तुत करेंगे, परन्तु ये रचनाएँ राग काफी से इतर रागों में निबद्ध होंगी। आज की प्रस्तुतियों के राग हैं, केदार, खमाज और सोहनी।
आलेख: श्री कृष्णमोहन मिश्र
वाचन: संज्ञा टंडन
गायक स्वर : ऋचा देबराज
भेंटकर्ता : शुभ्रा ठाकुर
नाम- कु.श्रीया झा
माता- श्रीमती अर्चना झा
पिता-श्री उमेश कुमार झा
शिक्षा- B.A.(HONS) -ENG वर्तमान मैं क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बैंगलोर से MA English with communication studies की पढ़ाई जारी है।
शास्त्रीय संगीत -विद (6 वर्षीय)
शौक- गायन,एवम वादन...
Published 12/09/21
निमिषा सिंघल का जन्म बुलंदशहर में हुआ
खुर्जा व मेरठ में शिक्षा दीक्षा हुई ,
शिक्षा : एमएससी, बी.एड,एम. फिल,
सूक्ष्मजैविकी में एम.फिल पूरी करने के बाद शास्त्रीय संगीत में प्रवीण तक का सफ़र तय किया।
आज कल निमिषा जी आगरा में रहती हैं। संगीत के साथ साथ वे समर्थ साहित्यकार और कला(oil painting)...
Published 12/02/21