दोनों मध्यम स्वर वाले राग – 5 : राग हमीर
Listen now
Description
कल्याणहिं के थाट में, दोनों मध्यम जान, ध-ग वादी-संवादि सों, राग हमीर बखान। दिन के पाँचवें प्रहर या रात्रि के पहले प्रहर में गाने-बजाने वाला, दोनों मध्यम स्वर से युक्त एक और राग है, हमीर। मूलतः राग हमीर दक्षिण भारतीय संगीत पद्यति से इसी नाम से उत्तर भारतीय संगीत में प्रचलित राग के समतुल्य है। राग हमीर को कल्याण थाट के अन्तर्गत माना जाता है। इस राग में दोनों मध्यम का प्रयोग होने और तीव्र मध्यम का अल्प प्रयोग होने के कारण कुछ प्राचीन ग्रन्थकार और कुछ आधुनिक संगीतज्ञ इसे बिलावल थाट के अन्तर्गत मानते हैं। ऐसा मानना तर्कसंगत भी है, क्योंकि इस राग का स्वरूप राग बिलावल से मिलता-जुलता है। किन्तु अधिकांश विद्वान राग हमीर को कल्याण थाट-जन्य ही मानते हैं। इस राग में दोनों मध्यम स्वर के साथ शेष सभी स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते है। राग की जाति सम्पूर्ण-सम्पूर्ण होती है, अर्थात आरोह और अवरोह में सात-सात स्वर प्रयोग किये जाते हैं। राग का वादी स्वर धैवत और संवादी स्वर गान्धार होता है। यहाँ भी रागों के गायन-वादन के समय सिद्धान्त और व्यवहार में विरोधाभाष है। समय सिद्धान्त के अनुसार जिन रागों का वादी स्वर पूर्व अंग का होता है उस राग को दिन के पूर्वांग अर्थात मध्याह्न 12 बजे से मध्यरात्रि 12 बजे के बीच गाया-बजाया जाना चाहिए। इसी प्रकार जिन रागों का वादी स्वर उत्तर अंग का हो उसे दिन के उत्तरांग में अर्थात मध्यरात्रि 12 से मध्याह्न 12 बजे के बीच प्रस्तुत किया जाना चाहिए। परन्तु राग हमीर का वादी स्वर धैवत है, अर्थात उत्तर अंग का स्वर है। स्वर सिद्धान्त के अनुसार इस राग को दिन के उत्तरांग में गाया-बजाना जाना चाहिए। परन्तु राग हमीर रात्रि के पहले प्रहर में अर्थात दिन के पूर्वांग में गाया-बजाया जाता है। सिद्ध
More Episodes
भेंटकर्ता : शुभ्रा ठाकुर  नाम- कु.श्रीया झा माता- श्रीमती अर्चना झा पिता-श्री उमेश कुमार झा शिक्षा- B.A.(HONS) -ENG वर्तमान मैं क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बैंगलोर से MA English with communication studies की पढ़ाई जारी है।  शास्त्रीय संगीत  -विद (6 वर्षीय) शौक- गायन,एवम वादन...
Published 12/09/21
निमिषा सिंघल का जन्म बुलंदशहर में हुआ  खुर्जा व मेरठ में शिक्षा दीक्षा हुई ,  शिक्षा : एमएससी, बी.एड,एम. फिल, सूक्ष्मजैविकी में एम.फिल पूरी करने के बाद शास्त्रीय संगीत में प्रवीण तक का सफ़र तय किया।  आज कल निमिषा जी आगरा में रहती हैं। संगीत के साथ साथ वे समर्थ साहित्यकार और कला(oil painting)...
Published 12/02/21
Published 12/02/21