हनुमान चालीसा की पांचवी चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा उपनयन संस्कार |
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हनुमान चालीसा की पांचवी चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा उपनयन संस्कार | हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै। कांधे मूंज जनेउ साजै ॥5॥  आपके हाथ में बज्र और ध्वजा हैं तथा कांधे पर मूंज जनेऊ की शोभा है। तुलसीदासजी यहाँ हनुमानजी के स्वरुप का वर्णन करते हुए लिखते हैं कि श्री हनुमानजी का हाथ वज्र के समान है तथा उनके हाथ में रामनाम की ध्वजा है। इसका संकेत यह है कि हमें भी हनुमानजी की तरह प्रभु कार्य के लिए वचनबद्ध प्रण लेकर प्रभु नाम और काम की ध्वजा हाथ मे लेनी चाहिए। #HanumanChalisa #HanumanKatha
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दान की महिमा तभी होती है, जब वह नि:स्वार्थ भाव से किया जाता है अगर कुछ पाने की लालसा में दान किया जाए तो वह व्यापार बन जाता है। जब इस भाव के पीछे कुछ पाने का स्वार्थ छिपा हो तो क्या वह दान रह जाता है ? यदि हम किसी को कुछ दान या सहयोग करना चाहते हैं तो हमे यह बिना किसी उम्मीद या आशा के करना चाहिए,...
Published 07/22/21
 पवनतनय  संकट  हरन, मंगल मूर्ति रुप । राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ।। आप संकट दूर करने वाले तथा, आप आनन्द मंगल के स्वरुप हैं ।  हे देवराज आप श्रीराम लक्ष्मण और सीताजी सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए । तुलसीदासजी हनुमानजी से प्रार्थना कर रहे हैं कि हे हनुमानजी ! आप राम लक्ष्मण और सीता...
Published 07/13/21
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।  कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥ 40 ॥  हे नाथ हनुमानजी ! तुलसीदास सदा ही श्रीराम का दास है। इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए । हनुमान जी तुलसीदास जी के गुरु हैं। तुलसीदास जी ने हनुमानजी को अपना गुरु माना है। उनके मार्गदर्शन के अनुसार ही उन्हे भगवान श्रीराम के दश्‍​र्रन हुए ।...
Published 06/19/21