हनुमान चालीसा की छठी चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा हनुमद रामायण
Listen now
Description
हनुमान चालीसा की छठी चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा हनुमद रामायण  शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥ 6॥ हे शंकर के अवतार, हे केशरी नन्दन, आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर में वन्दना होती है। श्री हनुमानजी के शंकर सुवन, रुद्रावतार या रुद के अंश से उत्पन्न होने के सम्बंध में अनेक कथाएँ मिलती है। एक बार शिवजी ने श्री रामचन्द्रजी की स्तुति की और यह वर मांगा कि हे प्रभो, मैं दास के भाव से आपकी सेवा करना चाहता हूँ , इसलिए कृप्या मेरे इस मनोरथ को पूर्ण किजिए। #HanumanChalisa #HanumanKatha
More Episodes
दान की महिमा तभी होती है, जब वह नि:स्वार्थ भाव से किया जाता है अगर कुछ पाने की लालसा में दान किया जाए तो वह व्यापार बन जाता है। जब इस भाव के पीछे कुछ पाने का स्वार्थ छिपा हो तो क्या वह दान रह जाता है ? यदि हम किसी को कुछ दान या सहयोग करना चाहते हैं तो हमे यह बिना किसी उम्मीद या आशा के करना चाहिए,...
Published 07/22/21
 पवनतनय  संकट  हरन, मंगल मूर्ति रुप । राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ।। आप संकट दूर करने वाले तथा, आप आनन्द मंगल के स्वरुप हैं ।  हे देवराज आप श्रीराम लक्ष्मण और सीताजी सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए । तुलसीदासजी हनुमानजी से प्रार्थना कर रहे हैं कि हे हनुमानजी ! आप राम लक्ष्मण और सीता...
Published 07/13/21
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।  कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥ 40 ॥  हे नाथ हनुमानजी ! तुलसीदास सदा ही श्रीराम का दास है। इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए । हनुमान जी तुलसीदास जी के गुरु हैं। तुलसीदास जी ने हनुमानजी को अपना गुरु माना है। उनके मार्गदर्शन के अनुसार ही उन्हे भगवान श्रीराम के दश्‍​र्रन हुए ।...
Published 06/19/21