Description
हनुमान चालीसा की ग्यारहवीं चौपाई का हिंदी अर्थ हनुमान कथा - राम नाम
लाय सजीवन लखन जिवाये।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥ 11 ॥
हे हनुमानजी आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जीवित कर दिया | जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको अपने हृदय से लगा लिया। जिस प्रकार मनुष्य के साथ उसकी छाया का होना निश्चित है, उसी प्रकार रामजी के आते ही लक्ष्मण जी और का आना हनुमान जी का आना अनिवार्य ही है।
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दान की महिमा तभी होती है, जब वह नि:स्वार्थ भाव से किया जाता है अगर कुछ पाने की लालसा में दान किया जाए तो वह व्यापार बन जाता है। जब इस भाव के पीछे कुछ पाने का स्वार्थ छिपा हो तो क्या वह दान रह जाता है ? यदि हम किसी को कुछ दान या सहयोग करना चाहते हैं तो हमे यह बिना किसी उम्मीद या आशा के करना चाहिए,...
Published 07/22/21
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूर्ति रुप ।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ।।
आप संकट दूर करने वाले तथा, आप आनन्द मंगल के स्वरुप हैं । हे देवराज आप श्रीराम लक्ष्मण और सीताजी सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए । तुलसीदासजी हनुमानजी से प्रार्थना कर रहे हैं कि हे हनुमानजी ! आप राम लक्ष्मण और सीता...
Published 07/13/21
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥ 40 ॥
हे नाथ हनुमानजी ! तुलसीदास सदा ही श्रीराम का दास है। इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए । हनुमान जी तुलसीदास जी के गुरु हैं। तुलसीदास जी ने हनुमानजी को अपना गुरु माना है। उनके मार्गदर्शन के अनुसार ही उन्हे भगवान श्रीराम के दश्र्रन हुए ।...
Published 06/19/21