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हनुमान चालीसा की तेरहवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा भ्रम टूट गया
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ॥ 13 ॥
श्रीराम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया कि तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है। जिस प्रकार भगवान श्रीराम और भगवान श्री कृष्ण ने अवतार लेकर इस सृष्टि में आकर इसकी महिमा बढायी। उसी प्रकार श्री हनुमानजी ने भक्ति की महिमा बढाई, इसीलिए ऐसे भगवान के परम भक्त के यश की सारा संसार प्रशंसा करता है।
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दान की महिमा तभी होती है, जब वह नि:स्वार्थ भाव से किया जाता है अगर कुछ पाने की लालसा में दान किया जाए तो वह व्यापार बन जाता है। जब इस भाव के पीछे कुछ पाने का स्वार्थ छिपा हो तो क्या वह दान रह जाता है ? यदि हम किसी को कुछ दान या सहयोग करना चाहते हैं तो हमे यह बिना किसी उम्मीद या आशा के करना चाहिए,...
Published 07/22/21
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूर्ति रुप ।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ।।
आप संकट दूर करने वाले तथा, आप आनन्द मंगल के स्वरुप हैं । हे देवराज आप श्रीराम लक्ष्मण और सीताजी सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए । तुलसीदासजी हनुमानजी से प्रार्थना कर रहे हैं कि हे हनुमानजी ! आप राम लक्ष्मण और सीता...
Published 07/13/21
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥ 40 ॥
हे नाथ हनुमानजी ! तुलसीदास सदा ही श्रीराम का दास है। इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए । हनुमान जी तुलसीदास जी के गुरु हैं। तुलसीदास जी ने हनुमानजी को अपना गुरु माना है। उनके मार्गदर्शन के अनुसार ही उन्हे भगवान श्रीराम के दश्र्रन हुए ।...
Published 06/19/21