Description
हनुमान चालीसा की सोलहवीं, चौपाई का हिंदी अर्थ हनुमान कथा आधी शक्ति
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥ 16 ॥
आपने सुग्रीवजी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया जिसके कारण वे राजा बने। भगवान श्रीराम सुग्रीव मैत्री के स्थापन में हनुमानजी की मुख्य भुमिका थी। यदि सुग्रीव को हनुमान जैसे कुशल, दूरदर्शी, मंत्री का सानिध्य प्राप्त नहीं होता कभी स्वप्न में भी बलशाली बालि के रहते सुग्रीव को किष्किन्धा का राज्य, अपहृत पत्नी और राज्य वैभव प्राप्त होता।
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दान की महिमा तभी होती है, जब वह नि:स्वार्थ भाव से किया जाता है अगर कुछ पाने की लालसा में दान किया जाए तो वह व्यापार बन जाता है। जब इस भाव के पीछे कुछ पाने का स्वार्थ छिपा हो तो क्या वह दान रह जाता है ? यदि हम किसी को कुछ दान या सहयोग करना चाहते हैं तो हमे यह बिना किसी उम्मीद या आशा के करना चाहिए,...
Published 07/22/21
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूर्ति रुप ।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ।।
आप संकट दूर करने वाले तथा, आप आनन्द मंगल के स्वरुप हैं । हे देवराज आप श्रीराम लक्ष्मण और सीताजी सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए । तुलसीदासजी हनुमानजी से प्रार्थना कर रहे हैं कि हे हनुमानजी ! आप राम लक्ष्मण और सीता...
Published 07/13/21
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥ 40 ॥
हे नाथ हनुमानजी ! तुलसीदास सदा ही श्रीराम का दास है। इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए । हनुमान जी तुलसीदास जी के गुरु हैं। तुलसीदास जी ने हनुमानजी को अपना गुरु माना है। उनके मार्गदर्शन के अनुसार ही उन्हे भगवान श्रीराम के दश्र्रन हुए ।...
Published 06/19/21