हनुमान चालीसा की अठारहवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा - शक्ति विलोपम
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जुग सहस्त्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥ 18 ॥ जो सूर्य इतने योजन दूरीपर है कि उस पर पहुंचने के लिए हजारों युग लगें। उस हजारों योजन दूरीपर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझकर निगल लिया।उन्होने जन्म लिया तब प्रभात का उगता हुआ सूर्यबिम्ब देखा और उसे पकडने के लिए छलांग मारी। फल सोंचकर ही सहज स्वभाव के अनुसार कपि हनुमान कुदे थे। #HanumanChalisa #HanumanKatha
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दान की महिमा तभी होती है, जब वह नि:स्वार्थ भाव से किया जाता है अगर कुछ पाने की लालसा में दान किया जाए तो वह व्यापार बन जाता है। जब इस भाव के पीछे कुछ पाने का स्वार्थ छिपा हो तो क्या वह दान रह जाता है ? यदि हम किसी को कुछ दान या सहयोग करना चाहते हैं तो हमे यह बिना किसी उम्मीद या आशा के करना चाहिए,...
Published 07/22/21
 पवनतनय  संकट  हरन, मंगल मूर्ति रुप । राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ।। आप संकट दूर करने वाले तथा, आप आनन्द मंगल के स्वरुप हैं ।  हे देवराज आप श्रीराम लक्ष्मण और सीताजी सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए । तुलसीदासजी हनुमानजी से प्रार्थना कर रहे हैं कि हे हनुमानजी ! आप राम लक्ष्मण और सीता...
Published 07/13/21
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।  कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥ 40 ॥  हे नाथ हनुमानजी ! तुलसीदास सदा ही श्रीराम का दास है। इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए । हनुमान जी तुलसीदास जी के गुरु हैं। तुलसीदास जी ने हनुमानजी को अपना गुरु माना है। उनके मार्गदर्शन के अनुसार ही उन्हे भगवान श्रीराम के दश्‍​र्रन हुए ।...
Published 06/19/21