हनुमान कथा : संकट में मदद | हनुमान चालीसा की पैंतीसवीं चौपाई का हिंदी अर्थ
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और देवता चित्त न धरई ।  हनुमंत सेई सर्व सुख करई ॥ 35 ॥ शास्त्रीय पूजा का महत्व समझाते हैं । पूजा वैदिक ऋषियों के द्वारा मानव को दी हुई अनुपम भेंट है ।  विश्व का मानव चित्त शुद्धि कर अध्यात्मिक विकास कर सके, हमारे ऋषियों ने सरल, व्यावहारिक, बुद्धिगम्य एवं शास्त्रीय पूजा की आवश्यकता समझायी है । मन को पुष्ट करने के लिए सबेरे से शाम तक चलने वाली आज की पूजा क्या उपयोगी हो सकती है?  #HanumanChalisa #HanumanKatha
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दान की महिमा तभी होती है, जब वह नि:स्वार्थ भाव से किया जाता है अगर कुछ पाने की लालसा में दान किया जाए तो वह व्यापार बन जाता है। जब इस भाव के पीछे कुछ पाने का स्वार्थ छिपा हो तो क्या वह दान रह जाता है ? यदि हम किसी को कुछ दान या सहयोग करना चाहते हैं तो हमे यह बिना किसी उम्मीद या आशा के करना चाहिए,...
Published 07/22/21
 पवनतनय  संकट  हरन, मंगल मूर्ति रुप । राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ।। आप संकट दूर करने वाले तथा, आप आनन्द मंगल के स्वरुप हैं ।  हे देवराज आप श्रीराम लक्ष्मण और सीताजी सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए । तुलसीदासजी हनुमानजी से प्रार्थना कर रहे हैं कि हे हनुमानजी ! आप राम लक्ष्मण और सीता...
Published 07/13/21
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।  कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥ 40 ॥  हे नाथ हनुमानजी ! तुलसीदास सदा ही श्रीराम का दास है। इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए । हनुमान जी तुलसीदास जी के गुरु हैं। तुलसीदास जी ने हनुमानजी को अपना गुरु माना है। उनके मार्गदर्शन के अनुसार ही उन्हे भगवान श्रीराम के दश्‍​र्रन हुए ।...
Published 06/19/21