हनुमान कथा : शब्दों की शक्ति | हनुमान चालीसा की अड़तीसवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | Hanuman Katha : Power of Words
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जो शत बार पाठ कर कोई । छूटहि बंदि महा सुख होई ॥ 38 ॥ जो सौ बार हनुमान चालीसा का पाठ करेगा उसे सब बंधनो से मुक्ति मिलेगी तथा सुख की प्राप्ति  होगी । यहाँ पर तुलसदासजी ने जो शत बार शब्द का प्रयोग किया है, शत बार यानी बार बार हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए यह अभिप्रेरित है । गोस्वामी तुलसीदासजी का अभिप्राय यह है कि हनुमान चालीसा में भक्त श्रेष्ठ हनुमानजी का जो चरित्र चित्रण है उसका स्वाध्याय बार बार करना चाहिए ।  #HanumanChalisa #HanumanKatha #jaiShreeRam
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दान की महिमा तभी होती है, जब वह नि:स्वार्थ भाव से किया जाता है अगर कुछ पाने की लालसा में दान किया जाए तो वह व्यापार बन जाता है। जब इस भाव के पीछे कुछ पाने का स्वार्थ छिपा हो तो क्या वह दान रह जाता है ? यदि हम किसी को कुछ दान या सहयोग करना चाहते हैं तो हमे यह बिना किसी उम्मीद या आशा के करना चाहिए,...
Published 07/22/21
 पवनतनय  संकट  हरन, मंगल मूर्ति रुप । राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ।। आप संकट दूर करने वाले तथा, आप आनन्द मंगल के स्वरुप हैं ।  हे देवराज आप श्रीराम लक्ष्मण और सीताजी सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए । तुलसीदासजी हनुमानजी से प्रार्थना कर रहे हैं कि हे हनुमानजी ! आप राम लक्ष्मण और सीता...
Published 07/13/21
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।  कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥ 40 ॥  हे नाथ हनुमानजी ! तुलसीदास सदा ही श्रीराम का दास है। इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए । हनुमान जी तुलसीदास जी के गुरु हैं। तुलसीदास जी ने हनुमानजी को अपना गुरु माना है। उनके मार्गदर्शन के अनुसार ही उन्हे भगवान श्रीराम के दश्‍​र्रन हुए ।...
Published 06/19/21