Description
शुभा मुद्गल वो आवाज़ है जिसने साल 1996 में 'अली मोरे अंगना' गाने के साथ नौजवानों के दिल में शास्त्रीय संगीत के लिए मुहब्बत पैदा की। अपनी आवाज़ और अंदाज़ से दशकों तक हिंदुस्तान की तहज़ीब की खुश्बू को दुनिया में बिखेरने वाली शुभा मुद्गल की ज़िंदगी के बारे में सुनिए कुछ ख़ास क़िस्से और कुछ खनकते हुए गीत उन्हीं की आवाज़ में, सिर्फ गज़लसाज़ में, जमशेद कमर सिद्दीक़ी के साथ.
शुभा मुद्गल हिंदुस्तानी म्यूज़िक का एक अहम नाम हैं. उनकी ज़िंदगी के क़िस्सों और खूबसूरत गायकी को समेटा हमनें 'गज़लसाज़' के इस खास सीज़न में. सुनिए इस सीज़न का आख़िरी एपिसोड. इस एपिसोड में बात हुई हैं शुभा मुद्गल की ज़िंदगी के संघर्ष की, वो क्या मानती हैं पुराने दौर की महिलाओं के संघर्ष के बारे...
Published 03/20/22
शुभा मुद्गल की ख़ासियत यही है कि उन्होंने जिस गीत को अपनी आवाज़ से सजाया वो चाहे कितने भी सिंगर्स ने पहले गाया हो लेकिन फिर वो उन्हीं का होकर रह गया। आज भी उनके गाए हुए पुराने गीत जब गूंजते हैं तो गुज़रा हुआ दौर उनकी आवाज़ में लिपटकर आंखों के सामने आ जाता है। शुभा मुद्गल के कुछ ऐसे ही गीतों को...
Published 03/06/22