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शुभा मुद्गल हिंदुस्तानी म्यूज़िक का एक अहम नाम हैं. उनकी ज़िंदगी के क़िस्सों और खूबसूरत गायकी को समेटा हमनें 'गज़लसाज़' के इस खास सीज़न में. सुनिए इस सीज़न का आख़िरी एपिसोड. इस एपिसोड में बात हुई हैं शुभा मुद्गल की ज़िंदगी के संघर्ष की, वो क्या मानती हैं पुराने दौर की महिलाओं के संघर्ष के बारे में... सुनिए गज़लसाज़ के इस ख़ास एपिसोड में, जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
Published 03/20/22
Published 03/20/22
शुभा मुद्गल की ख़ासियत यही है कि उन्होंने जिस गीत को अपनी आवाज़ से सजाया वो चाहे कितने भी सिंगर्स ने पहले गाया हो लेकिन फिर वो उन्हीं का होकर रह गया। आज भी उनके गाए हुए पुराने गीत जब गूंजते हैं तो गुज़रा हुआ दौर उनकी आवाज़ में लिपटकर आंखों के सामने आ जाता है। शुभा मुद्गल के कुछ ऐसे ही गीतों को सुनिए 'गज़लसाज़' में और उनके बारे में ज़िक्र कर रहे हैं जमशेद कमर सिद्दीक़ी.
Published 03/06/22
एक कलाकार तबतक प्रासंगिक रहता है जब तक वो अपना सरप्राइज़ एलिमेंट नहीं खोता. प्रशंसक हर बार ये सोचते हैं कि इस बार क्या होगा? और ये कमाल तभी हो पाता है जब आर्टिस्ट के पास रेंज हो. शुभा मुद्गल के पास ज़बरदस्त रेंज है. वो पॉप भी गाती हैं, क्लासिकल भी. गज़लसाज़ के इस पॉडकास्ट में ज़िक्र शुभा जी की शानदार गायकी का. सुनिए जमशेद कमर सिद्दीक़ी से.
Published 02/20/22
एक स्टेज परफॉर्मेंस के दौरान गाने में एक ऐसा शब्द आया कि शुभा जी की नज़रें स्टेज पर ही बैठे तबला बजे रहे उनके पति अनीश प्रधान साहब से जा टकराईं और फिर दोनों अपनी हंसी नहीं रोक पाए। इस हंसी की वजह क्या थी? और शुभा जी की माँ अपनी बेटी में अपनी माँ यानि शुभा जी की नानी का कौन सा अक्स देखती थीं? बता रहे हैं जमशेद कमर सिद्दीक़ी 'गज़लसाज़' के इस बेहद ख़ास पॉडकास्ट में.
Published 02/06/22
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में मशहूर 'शायर ए इंकलाब' फैज़ अहमद फैज़ आए हुए थे। 22 साल की शुभा मुद्गल को इस कार्यक्रम में गज़ल पढ़नी थी लेकिन जिस कागज़ पर उन्होंने गज़ल दर्ज की थी, उस पर फैज़ की नज़र पड़ गयी। पर्ची देखकर फैज़ साहब ने शुभा मुद्गल से क्या सवाल किया था? सुनिए 'गज़लसाज़' के इस एपिसोड में, जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
Published 01/23/22
शुभा मुद्गल वो आवाज़ है जिसने साल 1996 में 'अली मोरे अंगना' गाने के साथ नौजवानों के दिल में शास्त्रीय संगीत के लिए मुहब्बत पैदा की। अपनी आवाज़ और अंदाज़ से दशकों तक हिंदुस्तान की तहज़ीब की खुश्बू को दुनिया में बिखेरने वाली शुभा मुद्गल की ज़िंदगी के बारे में सुनिए कुछ ख़ास क़िस्से और कुछ खनकते हुए गीत उन्हीं की आवाज़ में, सिर्फ गज़लसाज़ में, जमशेद कमर सिद्दीक़ी के साथ.
Published 01/09/22
हिंदुस्तान की वो क्लासिकल गायिका जिसकी आवाज़ दुनिया के तमाम देशों में गूंजती है। जिसने क्लासिकल गायन को पॉप के साथ मिलाकर नौजवान पीढ़ी को संगीत की जड़ों से जोड़ा - शुभा मुद्गल। गज़लसाज़ में सुनिए शुभा जी की ज़िंदगी की सुनी अनसुनी कहानियां और उनकी आवाज़ में कुछ शानदार गायिकी, गज़लसाज़ के इस एपिसोड में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी के साथ. साउंड मिक्सिंग : अमृत रेगी
Published 12/26/21
हिंदुस्तान की वो आवाज़ जिसने सरहदों पार अपने होने की निशानी दी है। जिसने हिंदुस्तानी रवायती संगीत को उस ऊंचाई पर सजाया है कि जहां से उसकी खुश्बू पूरी दुनिया में फैलती है। राशिद ख़ान, क्लासिकल सिंगिंग का नायाब सितारा। और उसी सितारे के बारे में 'गज़लसाज़' के इस सीज़न में ये है सातवां एपिसोड। सुनिए जमशेद क़मर सिद्दीकी से.
Published 12/12/21
राशिद ख़ान साहब की ज़िंदगी से जुड़े कुछ सुने अनसुने क़िस्से और उनकी रूहानी आवाज़ में हिंदुस्तानी क्लासिकल म्यूज़िक के इस गुलदस्ते को लेकर गज़लसाज़ फिर से हाज़िर है। सुनिए आजतक रेडियो पर 'गज़लसाज़' जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
Published 11/28/21
दुनिया के हर उस मुल्क में जहां हिंदुस्तानी रवायती संगीत को चाहने वाले ज़िंदा हैं उस मुल्क की अदबी हवाओं में उस्ताद राशिद ख़ान का नाम ज़रूर गूंजता है. आजतक रेडियो के 'गज़लसाज़' पॉडकास्ट में सुनिए राशिद साहब की आवाज़ में कुछ ख़ास बंदिश और साथ ही कुछ यादगार किस्से. बरेली शरीफ़ से उस्ताद का क्या रिश्ता है? कौन थे निख़िल काका जिन्होंने राशिद साहब के बचपन में ही उनके बेहद कामयाब होने की भविष्यवाणी कर दी थी? बता रहे हैं जमशेद क़मर सिद्दीक़ी 'गज़लसाज़' के पांचवें एपिसोड में
Published 11/14/21
सुरों के सफ़ीर, क्लासिकल म्यूज़िक के सबसे बड़े दस्तख़्वत उस्ताद राशिद ख़ान ने फ़िल्मों में ना गाने का फ़ैसला करियर के शुरुआती दिनों में ही कर लिया था। लेकिन एक दोस्त म्यूज़िक डायरेक्टर के कहने पर उन्होंने मजबूर होकर एक गाना गाया। कौन सा है वो गाना? बता रहे हैं आजतक रेडियो के म्यूज़िकल पॉडकास्ट में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी.
Published 10/31/21
क्लासिकल सिंगर उस्ताद राशिद ख़ान साहब को एक बार क्यों पंडित भीमसेन जोशी के कॉन्सर्ट में फ्रंट सीट से उठाकर पीछे बैठने को कहा गया था. और उसी दिन राशिद साहब ने एक कसम खाई थी... क्या थी वो क़सम? सुनिए आजतक रेडियो के गज़लसाज़ में राशिद ख़ान सीज़न के तीसरे एपिसोड में कुछ बंदिश और कुछ क़िस्से, जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से.
Published 10/17/21
पद्मश्री उस्ताद राशिद ख़ान की ज़िंदगी से जुड़े कुछ याद किस्से और उनकी आवाज़ में कुछ रोहानी संगीत, सुनिए गज़लसाज़ के इस एपिसोड में, जमशेद कमर सिद्दीक़ी के साथ.
Published 10/03/21
पद्मश्री उस्ताद राशिद ख़ान की रोहानी आवाज़ दिल ओ ज़हन को अंदर तक छू लेती है। दुनिया भर के तमाम देशों तक हिंदुस्तानी रवायती संगीत को पहुंचाने वाले राशिद ख़ान ने कभी हारमोनियम पर रियाज़ नहीं किया। वो कहते हैं कि रियाज़ सिर्फ तानपुरे पर करना चाहिए। उनकी ज़िंदगी से जुड़े कुछ याद किस्से और उनकी आवाज़ में कुछ रोहानी संगीत, सुनिए गज़लसाज़ के इस एपिसोड में, जमशेद कमर सिद्दीक़ी के साथ.
Published 09/19/21
पद्मश्री उस्ताद राशिद ख़ान की रोहानी आवाज़ दिल ओ ज़हन को अंदर तक छू लेती है। दुनिया भर के तमाम देशों तक हिंदुस्तानी रवायती संगीत को पहुंचाने वाले राशिद ख़ान ने कभी हारमोनियम पर रियाज़ नहीं किया। वो कहते हैं कि रियाज़ सिर्फ तानपुरे पर करना चाहिए। उनकी ज़िंदगी से जुड़े कुछ याद किस्से और उनकी आवाज़ में कुछ रोहानी संगीत, सुनिए गज़लसाज़ के इस एपिसोड में, जमशेद कमर सिद्दीक़ी के साथ.
Published 09/19/21
गज़लसाज़ के रेशमा सीज़न के सातवें और आखिरी एपिसोड में सुनिए रेशमा के अब्बा ने उनसे, उनके पुरखों की कब्रों के बारे में क्या नसीहत की थी? वो कब्रें जो रतनगढ़ में आज भी मौजूद हैं और जिन्हें छोड़कर उन्हें तक़्सीम के वक्त पाकिस्तान जाना पड़ा था। दिल्ली की निज़ामुद्दीन दरगाह और अजमेर की ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह पर रेशमा क्यों पैंतीस साल बाद हाज़िरी लगाने पहुंची थीं? सुनिए गज़ल साज़ के रेशमा सीज़न के आख़िरी पॉडकास्ट में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
Published 09/05/21
गज़लसाज़ के रेशमा सीज़न के सातवें और आखिरी एपिसोड में सुनिए रेशमा के अब्बा ने उनसे, उनके पुरखों की कब्रों के बारे में क्या नसीहत की थी? वो कब्रें जो रतनगढ़ में आज भी मौजूद हैं और जिन्हें छोड़कर उन्हें तक़्सीम के वक्त पाकिस्तान जाना पड़ा था। दिल्ली की निज़ामुद्दीन दरगाह और अजमेर की ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह पर रेशमा क्यों पैंतीस साल बाद हाज़िरी लगाने पहुंची थीं? सुनिए गज़ल साज़ के रेशमा सीज़न के आख़िरी पॉडकास्ट में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
Published 09/05/21
रेश्मा जब गाती थीं तो लगता था जैसे रेगिस्तान ने अपनी चुप्पी तोड़ दी हो। लेकिन उनकी आवाज़ के क़िस्सों के अलावा उनके खाने-पीने के शौक के बारे में भी कई बातें मशहूर हैं। इनमें से एक है भारत में बने नींबू के अचार से उनके इश्क़ का क़िस्सा। जब एक प्रोड्यूसर ने उन्हें नींबू का अचार खाने पर टोका था, तो क्या जवाब दिया था रेशमा ने, बता रहे हैं जमशेद क़मर सिद्दीक़ी गज़लसाज़ के इस एपिसोड में.
Published 08/22/21
रेश्मा जब गाती थीं तो लगता था जैसे रेगिस्तान ने अपनी चुप्पी तोड़ दी हो। लेकिन उनकी आवाज़ के क़िस्सों के अलावा उनके खाने-पीने के शौक के बारे में भी कई बातें मशहूर हैं। इनमें से एक है भारत में बने नींबू के अचार से उनके इश्क़ का क़िस्सा। जब एक प्रोड्यूसर ने उन्हें नींबू का अचार खाने पर टोका था, तो क्या जवाब दिया था रेशमा ने, बता रहे हैं जमशेद क़मर सिद्दीक़ी गज़लसाज़ के इस एपिसोड में.
Published 08/22/21
हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे वाले साल में पैदा हुई रेशमा को ज़िंदगीभर ये मलाल रहा कि उनकी रेतीली ज़मीन राजस्थान सरहद से बंट गयी। इंदिरा गांधी से एक मुलाकात में उन्होंने कहा था कि अगर मेरा दूसरा जन्म हो तो मैं फिर से इसी मिट्टी में पैदा होना चाहती हूं। सुनिए रेशमा की ज़िदगी के ऐसे ही कुछ सुने-अनसुने क़िस्से जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से और कुछ चुनिंदा गज़लें रेशमा की आवाज़ में, सिर्फ गज़लसाज़ में
Published 08/08/21
हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे वाले साल में पैदा हुई रेशमा को ज़िंदगीभर ये मलाल रहा कि उनकी रेतीली ज़मीन राजस्थान सरहद से बंट गयी। इंदिरा गांधी से एक मुलाकात में उन्होंने कहा था कि अगर मेरा दूसरा जन्म हो तो मैं फिर से इसी मिट्टी में पैदा होना चाहती हूं। सुनिए रेशमा की ज़िदगी के ऐसे ही कुछ सुने-अनसुने क़िस्से जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से और कुछ चुनिंदा गज़लें रेशमा की आवाज़ में, सिर्फ गज़लसाज़ में
Published 08/08/21
रेशमा की ज़िंदगी के जुड़े क़िस्सों और उनकी आवाज़ के जादू से सजी इस महफ़िल में शामिल हो जाइये, सुनिए गज़लसाज़ का रेशमा सीज़न, जमशेद क़मर सिद्दीक़ी के साथ, सिर्फ आजतक रेडियो पर.
Published 07/25/21
रेशमा की ज़िंदगी के जुड़े क़िस्सों और उनकी आवाज़ के जादू से सजी इस महफ़िल में शामिल हो जाइये, सुनिए गज़लसाज़ का रेशमा सीज़न, जमशेद क़मर सिद्दीक़ी के साथ, सिर्फ आजतक रेडियो पर.
Published 07/25/21
रेशमा की मक़बूलियत का दायरा इतना था उस वक्त हिंदुस्तान की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें अपने आवास 1, सफ़दरजंग रोड पर दावत दी। रेश्मा जब मुंबई पहुंची और इस बारे में एक्टर दिलीप कुमार को पता चला तो वो उनसे मिलने पहुंच गए और कहा, "रेशमा जी, मैं आपका फ़ैन हूं और ये होटल आपकी शान के मुताबिक नहीं, मैंने आपका इंतज़ाम एक दूसरे आलिशान होटल में किया है।" रेशमा की ज़िंदगी के ऐसे ही और क़िस्सो और उनकी आवाज़ के जादू से सजी इस महफ़िल में शामिल हो जाइये, सुनिए गज़लसाज़ का रेशमा सीज़न, जमशेद क़मर...
Published 07/11/21