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पेंटिंग की दुनिया में स्किल का ज़रूरी हिस्सा है- बिना कपड़ों की तस्वीरें बनाना. सुनने में अजीब सा लगता है. हम खुद कभी किसी पेंटर का सब्जेक्ट हो सकते हैं?? शायद नहीं, या शायद हां. स्केच आर्टिस्ट किसी को कपड़े उतारने के लिए कन्विंस कैसे कर लेते हैं? किसी को अपना न्यूड स्केच बनवाकर क्या मिलता है? ये सारे जवाब आज के पढ़ाकू नितिन में दे रहे हैं मिहिर श्रीवास्तव. दिल्ली के रहनेवाले मिहिर ने आजतक पांच सौ न्यूड स्केचेज़ बनाए हैं और अपने अनुभवों पर एक किताब भी लिखी है. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में...
Published 05/02/24
Published 05/02/24
जिगन, लंदन, वियना, शंघाई और आधी दुनिया घूमकर भारत लौटे एक पत्रकार ने ढेरों नोट्स बनाए, और फिर उससे निकाली एक सुंदर सी किताब. इसका नाम है- ‘बेखुदी में खोया शहर- एक पत्रकार के नोट्स.’ इस किताब में दुनियाभर के शहर हैं, सिनेमा है, कला है, संगीत है और साथ में हैं ढेरों यादें उस गांव देहात की जो वो पीछे छोड़ आया. आज के पढ़ाकू नितिन में ढाई दशक से पत्रकारिता कर रहे अरविंद दास से मुखामुखम हुआ, उसका आनंद लीजिए. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
Published 04/25/24
दिल्ली से 180 किमी दूर यमुना किनारे बसा है मथुरा. इतना पुराना शहर कि दो हजार साल पहले इजिप्ट के खगोलशास्त्री टॉल्मी ने इस शहर का ज़िक्र मोदुरा नाम से किया. लैटिन में इसका मतलब हुआ- सिटी ऑफ गॉड्स. यहीं है वृंदावन.. मंदिरों का शहर. यहां हर टीले के नीचे इतिहास दफन है. आपने कभी मथुरा वृंदावन की ऐसी दिलचस्प कहानी नहीं सुनी होगी जिसमें चैतन्य महाप्रभु हैं, औरंगज़ेब है, अकबर है, मान सिंह है, चर्चिल भी है और हैं कुछ प्राचीन मंदिर जिनका रिश्ता कलिंग तक से है. इस बार पढ़ाकू नितिन में सुनिए मदन मोहन...
Published 04/19/24
प्रधानमंत्री हमारे देश का सबसे ताकतवर पद है। नीतियां तय करना, लागू कराना, देश का विदेशों में प्रतिनिधित्व करना सब उसकी ही असीम ताकत का हिस्सा है। हम प्रधानमंत्रियों के फैसले देखते हैं लेकिन कभी उस प्रक्रिया को नहीं देखते जो फैसले के पीछे होती है और ना कभी इस पद पर बैठे शख्स के मूड, पूर्वाग्रहों और ज़िद को देख पाते हैं। छह प्रधानमंत्रियों पर अवॉर्ड विनिंग जर्नलिस्ट नीरजा चौधरी ने किताब लिखी है- How Prime Ministers Decide. चार दशकों तक राजनीतिक कोठरियों से कहानियां निकालती रहीं नीरजा ने पढ़ाकू...
Published 04/11/24
ये कहानी ऐसे राष्ट्रपति की है जो पंजाब के ठेठ गांव से निकला और अंग्रेज़ों से लड़ता हुआ राजनीति में आ गया. फिर मंत्री बना, मुख्यमंत्री भी, गृहमंत्री और आखिरकार राष्ट्रपति.. राष्ट्रपति भी ऐसा जिसने पद संभालने से पहले कह दिया नेता कहेंगी तो झाड़ू भी लगाऊंगा लेकिन जब राष्ट्रपति बना तो प्रधानमंत्री आशंकित रहे कि जाने कब सरकार बर्खास्त हो जाए. ऑपरेशन ब्लूस्टार, इंदिरा की हत्या, सिख दंगे, राजीव गांधी सरकार का अविश्वास.. ये सब देखनेवाले देश के सातवें राष्ट्रपति ज्ञानी ज़ैल सिंह से जुड़े किस्से सुनिए...
Published 04/04/24
हिंदुस्तान में मुसलमानों का इतिहास इस्लाम जितना पुराना है। भारतीय लोकतंत्र में भी उनकी भागीदारी भरपूर है लेकिन सियासी मुहावरों में वो वोट बैंक भी हैं। इस्लाम के भारतीय वर्ज़न में हमारी आपकी समझ के लिए बहुत कुछ छिपा है। ये भी कि मुसलमानों में भी जातियां हैं, ये भी कि मुस्लिम होते हुए धर्मनिरपेक्ष हुआ जा सकता है क्या और ये भी कि गांधी मुसलमानों के बारे में क्या कहते थे? इस बार हिलाल अहमद ने पढ़ाकू नितिन में कुछ मुश्किल सवालों के जवाब दिए जिनसे वो अपनी किताब “अल्लाह नाम की सियासत” में भी मुखातिब...
Published 03/28/24
नागरिकता का कॉन्सेप्ट बहुत नया है या ज़्यादा पुराना? नागरिक कौन होता है? नागरिकता कैसे छिन जाती हैं? भारत का नागरिकता कानून क्या बोलता है और सीएए कानून की बारीकियाँ.. आज के 'पढ़ाकू नितिन' में इन्हीं सवालों के जवाब देने आई हैं जेएनयू में पढ़ानेवाली और नागरिकता पर कई किताबें लिखनी वालीं प्रोफेसर अनुपमा रॉय. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
Published 03/21/24
लेखक अपने समय का इतिहासकार है। पंजाबी लेखक नानक सिंह भी वही थे। उन्होंने जलियांवाला से लेकर पंजाब का विभाजन तक अपनी आंखों से देखा। उसके बारे में कहानी-किस्से-उपन्यास लिखे। उन्हीं नानक सिंह के पोते पूर्व डिप्लोमेट नवदीप सूरी ने हमसे साझा किया कि उनके दादा उस हिंदुस्तान के बारे में क्या कहते थे जिसे बस हम किताबों में पढ़ते हैं। Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं
Published 03/14/24
भारत और श्रीलंका के बीच चूना पत्थरों की कड़ी को एडम्स ब्रिज या रामसेतु कहा जाता है. धार्मिक आख्यानों से लेकर पर्यावरणीय विविधता तक इसका महत्व झुठलाया नहीं जा सकता. ये भी बड़ी हकीकत है कि इस संरचना को लेकर भ्रम, सवाल, जिज्ञासा अनंत हैं. इन्हीं की शांति के लिए हमारे मेहमान बने हैं प्रो अरूप के चटर्जी, जिन्होंने एक किताब “एडम्स ब्रिज” भी लिखी है. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं
Published 03/07/24
किसी देश के लिए इतना ही काफी नहीं कि वहां कितने अमीर बसते हैं, ज़रूरी ये आंकड़ा भी है कि कितने गरीब रहते हैं. महिला सुरक्षा, सेहत, शिक्षा, जीवन प्रत्याशा के नंबर भी बताते हैं कि देश किस राह पर है. स्वाति नारायण ने एक किताब लिखी है 'Unequal', जिसकी चर्चा संसद तक में है. किताब का दावा है कि बहुत से इंडिकेटर्स में भारत के पड़ोसी उसे पछाड़ रहे हैं. ये किताब चिंता पैदा करती है और ये चाह भी कि गड़बड़ियों को दुरुस्त करके आगे बढ़ा जाए. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के...
Published 02/29/24
कहते हैं कि हिंदुस्तान हमेशा इलेक्शन में रहता है. कहीं ना कहीं चुनाव चल रहा होता है. दुनिया की सबसे ज़्यादा आबादी वाले देश में चुनाव करना-करवाना आठवां अजूबा ही है मगर ये अजूबा चुनाव आयोग करीब 75 सालों से कराता चला जा रहा है. इस पूरे भारी भरकम प्रोसेस में मुश्किलें भी कम नहीं. कभी इलेक्टोरल बॉन्ड का झंझट, कभी EVM पर मचमच और कितनी बार तो नेताओं के गिले शिकवे. 'पढ़ाकू नितिन' में इस बार आए हैं देश के 17वें मुख्य चुनाव आयुक्त रहे एस वाई कुरैशी साहब. उनसे हमने किए मुश्किल सवाल और उन्होंने दिए सबके...
Published 02/22/24
चंद्रकांता का क्रूर सिंह, गंगाजल का डीएसपी भूरेलाल, सरफरोश का मिर्ची सेठ और लगान का अर्जन सिंह… सब एक ही थे. नाम है- अखिलेंद्र मिश्र. बच्चों बच्चों को उनका “यक्कू” याद है. 40 साल एक्टिंग की यात्रा करके आज वो 'पढ़ाकू नितिन' के मेहमान हुए. बातें ज़बरदस्त हुई हैं. मज़े का वादा पक्का है...सुनिएगा.
Published 02/15/24
चीन आबादी में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा और इलाके में तीसरा सबसे बड़ा देश है लेकिन उसका सपना इकोनॉमी में सबसे बड़ा देश बनना है. दर्जनों विद्वान कहते हैं बन भी जाएगा लेकिन हमारी टेंशन है कि पड़ोस में बसा ये देश हमें बराबरी का दर्जा नहीं देता. और ऐसा होने की वजहें ढेर हैं. कई तो हिस्ट्री में छुपी हैं. 'पढ़ाकू नितिन' इसे ही उघाड़ने आए हैं भारत के 32वें विदेश सचिव और चीन में राजदूत रहे विजय गोखले. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
Published 02/08/24
23 साल पहले भारतीय संसद पर आतंकी हमला हुआ था. इस केस की गुत्थी 48 घंटों में सुलझाई गई और अफ़ज़ल गुरू को फांसी भी इसी केस में हुई. लेकिन इनवेस्टिगेशन को अंजाम कैसे दिया गया? जिस पुलिस अफसर ने मामला खोला उनका नाम है अशोक चांद. 32 सालों में उन्होंने ढेरों हाई प्रोफ़ाइल केस सुलझाए. 13 साल में दो बार आउट ऑफ टर्न प्रमोशन भी उनके हिस्से है. तो आज के 'पढ़ाकू नितिन' में बात करेंगे दिल्ली के रिटायर्ड एडिशनल पुलिस कमिश्नर क्राइम अशोक चांद और आजतक के एडिटर क्राइम एंड इन्वेस्टिगेशन अरविंद ओझा से और...
Published 02/01/24
दुनिया पैसे से चलती है ये आपने सुना होगा, लेकिन कितना पैसा किसकी जेब में जाएगा तय कौन करता है? किसी देश का वित्त मंत्रालय. अब वित्त मंत्रालय चलाते हैं मंत्री और सेक्रेटरी. मगर आपको इसकी बारीकी और काम करने का तरीका शायद पता नहीं होगा. आज हमने पढ़ाकू नितिन में एक इनसाइडर को न्यौता दिया है. उनका नाम है सुभाषचंद्र गर्ग. वर्ल्ड बैंक और राजस्थान के वित्तीय मामलों को संभालने के बाद उन्होंने दो सालों तक वित्त सचिव का कामकाज संभाला, वो भी तीन तीन मंत्रियों के साथ. इस दौरान उनके कार्यकाल में खूब...
Published 01/25/24
कश्मीर का ज़िक्र हमेशा शेख अब्दुल्ला के बिना अधूरा है. नेशनल कॉन्फ़्रेंस के इस नेता ने विद्रोही, शासक, कैदी हर रोल में छाप छोड़ी. जिन्ना से शेख का हमेशा झगड़ा रहा क्योंकि वो इस्लाम के नाम पर राजनीति नहीं करना चाहते थे, विभाजन होते ही क़बायली वेश में पाकिस्तानी आर्मी घाटी में घुस आई तो शेख के वर्कर्स ही लाठी लेकर लड़ने उतरे, राजशाही से जूझते शेख ने हमेशा लोकतंत्र की पैरवी की मगर क्या हुआ जो वो आज़ाद भारत में जेल भेजे गए। क्या हुआ कि नेहरू से उनकी दूरी बढ़ गई। क्या हुआ कि वो अलगाववादी कहलाए...
Published 01/18/24
एक लड़के पर फर्ज़ी केस लगा, पुलिस टॉर्चर हुआ, जेल गया, फिर खुद वकालत पढ़के बरी हुआ. आपको लग रहा होगा किसी वेबसीरीज़ या फिल्म की कहानी है, लेकिन ये हकीकत है सिस्टम की. सिस्टम में बैठे करप्ट लोगों के बावजूद कामयाब होने की, हिम्मत ना हारने की. 'पढ़ाकू नितिन' में सुनेंगे बागपत के अमित चौधरी से उनकी आपबीती जो अब मेरठ में कामयाब वकील हैं. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
Published 01/11/24
अयोध्या को देखने का सबका अपना नज़रिया है. कुछ लोग इसे इतिहास मानते हैं तो कुछ ऐसा मिथक जो रामायण से शुरू हुआ. बावजूद इसके ये सच है कि अयोध्या नाम का शहर सैकड़ों साल से मौजूद है अपने बदलते नामों के साथ और उस भूगोल के भी जिसका विवरण पुराणों में मिलता है. वाल्मीकि कृत रामायण में तो अयोध्या पर जो बारीक जानकारियाँ मिलती हैं वो हैरतनाक हैं. आज के पढ़ाकू नितिन में 'अमेज़िंग अयोध्या' की लेखिका नीना राय से जानेंगे त्रेताकालीन अयोध्या की कहानी. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट...
Published 01/04/24
तवायफों को हमने फिल्मों में देखा है, उनके बारे में उपन्यासों से जाना है. होना ये चाहिए था कि दौलत और रुतबा रखनेवाली इन तवायफों को इतिहास में तवज्जो मिलती लेकिन मिला तिरस्कार. हिंदुस्तान की मशहूर तवायफों के क़िस्से आज 'पढ़ाकू नितिन' में सुनेंगे एकता कुमार से जिन्होंने तवायफों पर किताब भी लिखी है. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
Published 12/28/23
जहां चाह वहां राह. ये मुहावरा सही साबित किया बुलंदशहर के सुशांत सिंह ने. दलित परिवार के बेटे सुशांत ने गरीबी और मार्गदर्शन के अभाव से लड़ते हुए लंदन यूनिवर्सिटी में ना सिर्फ कानून की पढ़ाई की बल्कि दो दो बार छात्रसंघ चुनाव जीता. सुशांत बाबासाहेब अंबेडकर को अपनी प्रेरणा मानते हैं और हर सवाल का जवाब उनके जीवन में खोजते हैं. 'पढ़ाकू नितिन' में सुशांत के सफ़र के ज़रिए सुनिए ब्रिटेन में स्टूडेंट पॉलिटिक्स की कमाल कहानियां. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
Published 12/21/23
राम मनोहर लोहिया हिंदुस्तानी सियासत के सबसे आकर्षक नेताओं में एक रहे हैं. उनकी राजनीतिक सोच समझ से प्रेरित होकर बहुत सारे नेताओं और दलों ने अपनी पारी खेली. लोहिया ने आज़ादी के पहले जितने जूझकर लड़ाई लड़ी, उतनी ही बड़ी लड़ाई आज़ादी के बाद संसद में लोकतंत्र के लिए लड़ी. उनके जीवन में कलर्स की कोई कमी नहीं. ज़िद्दी थे, स्वच्छंद भी, जुझारू और ज़बरदस्त बौद्धिक भी. आज उन्हीं लोहिया के जीवन से ढेरों दिलचस्प पहलू खोलने के लिए 'पढ़ाकू नितिन' की बैठकी में पधारे हैं पत्रकार और लेखक अरविंद मोहन. ...
Published 12/14/23
इंदिरा गांधी ने देश पर सोलह साल शासन किया. उनके हिस्से तारीफ और आलोचना दोनों आईं. इमरजेंसी वाला मामला उन पर मौत के बाद भी हावी रहा लेकिन इसके अलावा भी उनके दामन पर कई तरह के दाग रहे. लेखक विष्णु शर्मा की किताब “इंदिरा फाइल्स” 50 आरोप लगाती है, 'पढ़ाकू नितिन' पॉडकास्ट के इस एपिसोड में सुनिए उनसे दिलचस्प बातचीत. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
Published 12/07/23
संविधान लागू हुए 75 साल होने जा रहे हैं. जितनी इसकी तारीफ होती है उतनी ही आलोचना भी. आलोचना के कई बिंदुओं में एक है इसके अंदर ब्रिटिश उपनिवेशवादी काल के कानूनों का होना. क्या केवल इस वजह से इसे 'Colonial Constitution' कहा जा सकता है? क़ानून के जानकार और लेखक अर्घ्य सेनगुप्ता ऐसा ना केवल मानते हैं बल्कि किताब इसी नाम से लिखी है. इस बार 'पढ़ाकू नितिन' में उनकी दलील सुनिए. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
Published 11/30/23
करीब 30 साल पहले एक अनोखा चुनाव हुआ. देश के सारे IAS अफसरों ने मिलकर अपने बीच से 3 सबसे करप्ट अफसरों को चुना. ऐसा इलेक्शन ना पहले देखा गया था और ना उसके बाद कभी हुआ. लेकिन इसका होना आसान नहीं था.. मगर फिर भी हुआ. उसके बाद हालात और मुश्किल बन गए. क्यों ये चुनाव हुए, जिनका नाम आया वो कौन थे, क्या उन पर कभी कोई एक्शन हुआ.. 'पढ़ाकू नितिन' में ये कहानी सुनाने आए हैं यूपी के कई ज़िलों के डीएम रहे, सीएम ऑफिस में बड़ी बड़ी ज़िम्मेदारियां निभानेवाले और केंद्र सरकार को भी सेवा देते रहे पूर्व आईएएस विजय...
Published 11/23/23