242. Vayviya Samhita (Uttar Khand) Adhyay - 15 / वायवीय संहिता (उत्तरार्द्ध) - पंद्रहवाँ अध्याय
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"त्रिविध दीक्षा का निरूपण, शक्तिपात की आवश्यकता तथा उसके लक्षणोंका वर्णन, गुरुका महत्त्व, ज्ञानी गुरु से ही मोक्ष की प्राप्ति तथा गुरु के द्वारा शिष्य की परीक्षा"
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मृत्युञ्जय महारुद्र त्राहि मां शरणागतम्जन्म मृत्युजरारोगैः पीड़ितं कर्म बन्धनैः ।।१।।मन्त्रेणाक्षर हीनेन पुष्पेण विफलेन चपूजितोसि महादेव तत्सर्वं क्षम्यतां मम ।।२।।करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वाश्रवननयंजं वा मानसं वापराधम् ।।३।।विहितमविहितं वा सर्वमेततक्षमस्वजय जय करुणाब्धे श्री महादेवशम्भो...
Published 08/25/23
Published 08/25/23
"भगवान् नन्दी का वहाँ आना और दृष्टिपात मात्र से पाशछेदन एवं ज्ञानयोग का उपदेश कर के चला जाना, शिवपुराण की महिमा तथा ग्रन्थ का उपसंहार"
Published 08/25/23