241. Vayviya Samhita (Uttar Khand) Adhyay - 14 / वायवीय संहिता (उत्तरार्द्ध) - चौदहवाँ अध्याय
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"गुरु से मंत्र लेने तथा उसके जप करने की विधि, पाँच प्रकार के जप तथा उनकी महिमा, मंत्र गणना के लिए विभिन्न प्रकार की मालाओं का महत्व तथा अँगुलियों के उपयोग का वर्णन, जप के लिए उपयोगी स्थान तथा दिशा, जप में वर्जनीय बातें, सदाचार का महत्व, आस्तिकता की प्रशंशा, तथा पंचाक्षर मंत्र की विशेषता का प्रतिपादन"
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मृत्युञ्जय महारुद्र त्राहि मां शरणागतम्जन्म मृत्युजरारोगैः पीड़ितं कर्म बन्धनैः ।।१।।मन्त्रेणाक्षर हीनेन पुष्पेण विफलेन चपूजितोसि महादेव तत्सर्वं क्षम्यतां मम ।।२।।करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वाश्रवननयंजं वा मानसं वापराधम् ।।३।।विहितमविहितं वा सर्वमेततक्षमस्वजय जय करुणाब्धे श्री महादेवशम्भो...
Published 08/25/23
Published 08/25/23
"भगवान् नन्दी का वहाँ आना और दृष्टिपात मात्र से पाशछेदन एवं ज्ञानयोग का उपदेश कर के चला जाना, शिवपुराण की महिमा तथा ग्रन्थ का उपसंहार"
Published 08/25/23