Description
लंका को चारों ओर से घेर लेने के बाद श्रीराम ने रावण को अपनी भूल सुधारने के एक और मौका देने के उद्देश्य से महाबली अंगद को दूत बनाकर भेजा।
जिस प्रकार हनुमानजी ने लंका में आग लगाकर राक्षस सेना को वानर सेना के सामर्थ्य का परिचय दिया था, अंगद भी वैसा ही कुछ करने का उद्देश्य लेकर लंका पहुँचे।
लंका की राजसभा में अंगद ने रक्षसराज रावण से सीता माता को वापस लौटाकर श्रीराम से संधि करने की बात कही। अंगद ने श्रीराम के पराक्रम का गुणगान करते हुए रावण से अपनी जान बचाने के लिए युद्ध न करने का सुझाव दिया।
रावण ने अपनी सभा में बैठे सभी राक्षसों को अंगद को पकड़ने का आदेश दिया। अंगद ने पहले तो सभी राक्षसों को बिना किसी विरोध के अपने समीप आने दिया, फिर अपने बल का प्रदर्शन करते हुए उन्होंने सभी राक्षसों को एक ही झटके में दूर फेंक दिया और राजमहल की छत तोड़कर जोर से अपने नाम की गर्जना की और आसमान में छलांग लगा दी। वहाँ उपस्थित कोई भी राक्षस कुछ नहीं कर सका।
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Published 05/15/23
अपने पुत्रों, भाइयों और सभी प्रमुख महारथियों की मृत्यु के पश्चात रावण ने अत्यंत क्रोधित होकर वानर सेना पर आक्रमण कर उनके मध्य हाहाकार मचा दिया। रावण ने तमस अस्त्र का प्रयोग कर अनेक वानरों को धराशायी कर दिया। श्रीराम और लक्ष्मण ने वानरों को इस प्रकार गिरते हुए देखा और रावण का सामना करने का निश्चय...
Published 10/05/22