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Published 05/15/23
अपने पुत्रों, भाइयों और सभी प्रमुख महारथियों की मृत्यु के पश्चात रावण ने अत्यंत क्रोधित होकर वानर सेना पर आक्रमण कर उनके मध्य हाहाकार मचा दिया। रावण ने तमस अस्त्र का प्रयोग कर अनेक वानरों को धराशायी कर दिया। श्रीराम और लक्ष्मण ने वानरों को इस प्रकार गिरते हुए देखा और रावण का सामना करने का निश्चय किया। लक्ष्मण ने अपने बाणों से रावण पर प्रहार किये। दोनों के बीच घमासान युद्ध छिड़ गया। लक्ष्मण ने अपने बाणों से रावण के सारथी को मारकर रावण का धनुष तोड़ दिया। विभीषण ने अपने मुग्दर से रावण के रथ के...
Published 10/05/22
श्रीराम और लक्ष्मण के सचेत होने के बाद सुग्रीव ने वानर सेना को लंका नगरी में आग लगाने की आज्ञा दी। सुग्रीव की आज्ञा पाकर वानर सेना ने अपने हाथों में मशालें लेकर लंका नगरी में आग लगाना शुरू कर दिया। सभी नगर वासी राक्षसों में हाहाकार मच गया। तब रावण ने कुंभकर्ण के पुत्रों कुम्भ और निकुंभ के नेतृत्व में राक्षस सेना को वानर सेना से युद्ध करने भेजा।
युद्ध प्रारम्भ होते ही महाबली अंगद ने कंपन नामक राक्षस को एक चट्टान के प्रहार से मार गिराया। यह देखकर कुम्भ ने अपने बाणों से वानर सेना पर आक्रमण कर...
Published 10/04/22
अपने भाइयों की मृत्यु से रावण की पत्नी धन्यमलिनी का पुत्र अतिकाया, जिसे ब्रह्मदेव से देव और दानवों द्वारा ना मारे जा सकने का वरदान प्राप्त था, क्रोध से भर गया और उसने अपने रथ पर सवार होकर युद्धभूमि में प्रवेश किया। उसके धनुष की टंकार से चारों ओर कोलाहल मच गया।
कुमुद, द्विविदा, मैंदा, नील और शरभ ने वृक्षों और चट्टानों से उस पर एक साथ प्रहार किया, जिन्हें अतिकाया ने अपने बाणों से ध्वस्त कर दिया। इस प्रकार जो भी उसके सामने आता उस पर प्रहार करते हुए वह श्रीराम के समक्ष पहुंचा और उन्हें युद्ध के...
Published 10/03/22
देवांतक की मृत्यु से त्रिषिरा ने क्रोध में भरकर नील पर तीरों की वर्षा कर दी। नील ने अपना आकार बढ़ाकर उन तीरों का बड़ी ही वीरता के साथ सामना किया। जैसे ही नील उन तीरों के प्रभाव से मुक्त हुए उन्होंने एक विशाल चट्टान से महोदर और उसके हाथी सुदर्शन को धराशायी कर दिया।
महोदर के धराशायी होने पर त्रिषिरा ने हनुमान जी पर अपने बाणों से आक्रमण कर दिया। हनुमान जी ने क्रोध में आकर त्रिषिरा के रथ के घोड़ों को मार गिराया। इस प्रकार रथ से विहीन हो जाने पर त्रिषिरा ने एक भाले से हनुमान जी पर प्रहार किया।...
Published 10/02/22
नरांतक के धराशायी होते ही देवांतक, त्रिषिरा और महोदर एक साथ महाबली अंगद पर टूट पड़े। अंगद ने चट्टानों और वृक्षों से तीनों पर प्रहार किये परंतु उन महाबली राक्षसों ने अंगद के प्रहारों को निष्फल कर अंगद पर मुग्दर, और बाणों से78 आक्रमण कर दिया।
अंगद को एक साथ तीन राक्षस महारथियों से युद्ध करते हुए देखकर हनुमान जी और नील वहाँ आ पहुँचे। नील ने एक बड़ी चट्टान से त्रिषिरा पर प्रहार किया जिसे त्रिषिरा ने अपने बाणों से टुकड़े-टुकड़े कर दिया।
देवांतक मुग्दर लेकर पवनपुत्र की ओर बढ़ा। उसे अपनी ओर आता देखकर...
Published 10/02/22
कुंभकर्ण के रणभूमि में धराशायी होने के बाद रावण ने अपने पुत्रों अतिकाया, त्रिषिरा, देवांतक और नरांतक को अपने भाइयों महोदर और महापार्श्व के साथ वानर सेना से युद्ध करने के लिए भेजा।
एक श्वेत अश्व पर सवार नरांतक ने अपने भाले से वानर सेना में हाहाकार मचा दिया। यह देखकर सुग्रीव ने अंगद को नरांतक का सामना करने के लिए भेजा।
अंगद ने नरांतक के सामने आकर उसे युद्ध के लिए ललकारा। नरांतक ने क्रोधित होकर अपने भाले से अंगद की छाती पर प्रहार किया। अंगद की वज्र के समान छाती से टकराकर नरांतक का भाला टूट...
Published 09/30/22
अंगद द्वारा अपना रथ तोड़े जाने और सारथी और घोड़ों के मारे
जाने से मेघनाद आग बबूला हो गया और युद्धस्थल से अदृश्य हो गया।
ब्रह्मदेव के वरदान के कारण कोई भी मेघनाद को देख नहीं पा रहा था। उसने अपने तीरों से वानर सेना में हाहाकार मचा दिया था और दिखाई ना देने का कारण वानर सेना में कोई भी उस पर प्रहार नहीं कर पा रहा था।
जब श्रीराम और लक्ष्मण जी उसका सामना करने आए तो उसने भयानक बाणों से उन पर आक्रमण किया। ये बाण उसके धनुष से छूटने पर सर्प में बदल जाते और श्रीराम और लक्ष्मण जी के शरीर में अंदर तक...
Published 09/29/22
लंका को चारों ओर से घेर लेने के बाद श्रीराम ने रावण को अपनी भूल सुधारने के एक और मौका देने के उद्देश्य से महाबली अंगद को दूत बनाकर भेजा।
जिस प्रकार हनुमानजी ने लंका में आग लगाकर राक्षस सेना को वानर सेना के सामर्थ्य का परिचय दिया था, अंगद भी वैसा ही कुछ करने का उद्देश्य लेकर लंका पहुँचे।
लंका की राजसभा में अंगद ने रक्षसराज रावण से सीता माता को वापस लौटाकर श्रीराम से संधि करने की बात कही। अंगद ने श्रीराम के पराक्रम का गुणगान करते हुए रावण से अपनी जान बचाने के लिए युद्ध न करने का सुझाव...
Published 09/28/22
वानर सेना के समुद्र पार करने का समाचार सुनकर रावण ने श्रीराम की सेना के सामर्थ्य का अनुमान लगाने के लिए अपने दो गुप्तचरों शुक और सारण को भेजा।
दोनों गुप्तचर वानर का वेश धारण कर वानर सेना में घुस गए, परंतु विभीषण ने उनको पहचान लिया और उन्हें पकड़कर श्रीराम के सामने प्रस्तुत किया।
श्रीराम ने दोनों को दंड न देकर छोड़ दिया और रावण के पास जाकर अपना संदेश देने के लिए कहा। श्रीराम ने कहा, “जाओ अपने स्वामी दशानन को कह दो कि श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण के साथ सीता को वापस ले जाने के लिए आए हैं और...
Published 09/28/22
वानर सेना के समुद्र पार करने का समाचार सुनकर रावण ने श्रीराम की सेना के सामर्थ्य का अनुमान लगाने के लिए अपने दो गुप्तचरों शुक और सारण को भेजा।
दोनों गुप्तचर वानर का वेश धारण कर वानर सेना में घुस गए, परंतु विभीषण ने उनको पहचान लिया और उन्हें पकड़कर श्रीराम के सामने प्रस्तुत किया।
श्रीराम ने दोनों को दंड न देकर छोड़ दिया और रावण के पास जाकर अपना संदेश देने के लिए कहा। श्रीराम ने कहा, “जाओ अपने स्वामी दशानन को कह दो कि श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण के साथ सीता को वापस ले जाने के लिए आए हैं और सुग्रीव...
Published 09/27/22
रामायण के बंगाल में प्रचलित एक संस्करण के अनुसार रावण से युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए भगवान श्रीराम ने शक्तिपूजा करने का निर्णय लिया। देवी आदिशक्ति की पूजा के लिए १०८ नीले कमल के फूलों को एकत्र किया गया।
पूजा की समाप्ति के समय जब श्रीराम ने १०८वाँ कमल का पुष्प देवी को समर्पित करना चाहा तो वह पुष्प पूजा स्थल में नहीं था। श्रीराम अत्यंत व्याकुल हुए। तभी श्रीराम को लगा कि लोग उन्हें कमल-नयन भी कहते हैं। ऐसा सोचकर श्रीरामचन्द्र जी ने कमल के स्थान पर अपना एक नेत्र देवी को समर्पित करने के...
Published 09/26/22
रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि को आदिकवि अर्थात प्रथम कवि भी कहते हैं और उनके द्वारा रचितश्रीरामकथा को प्रथम महाकाव्य। देखिए कैसे मिली वाल्मीकि जी को रामायण की रचना करने की प्रेरणा।एक बार तपस्वी वाल्मीकि ऋषि की भेंट तीनों लोकों में भ्रमण करने वाले त्रिलोकज्ञाता देवर्षि नारद ने हुई।वाल्मीकि जी ने नारद मुनि से पूछा, “देवर्षि! इस समय विश्व में गुणवान, वीर्यवान, धर्मज्ञ, कृतज्ञ,सत्यवादी, धर्मानुसार आचरण करने वाले, प्राणिमात्र के हितैषी, विद्वान, समर्थ, धैर्यवान, क्रोध कोवश में करने वाले,...
Published 08/10/22
Hello listeners, I hope you guys are doing well. Thank you for giving so much love to Shree Ram katha podcast. This is a small announcement to tell you about our other podcasts- Nal damyanti prem katha Hindi, English. Ved vyas ki mahabharat in Hindi, Itehaas puran ki kathyein covering stories from different scriptures.
You can listen to all these podcasts on your favorite audio platform. You can also connect with us on our social media platforms @mysutradhar.
Published 06/02/22
In the last part of Shri ram Katha based on Valmiki Ramayana watch the conclusion of the conflict between Shri ram and Ravana, which was initiated by Ravana by abducting Mata Sita
Published 05/14/22
श्रीरामकथा के दसवें भाग में सुनिये श्रीराम की वानर सेना और रावण की राक्षस सेना के बीच हुए भीषण युद्ध का वर्णन।
Published 05/13/22
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Published 05/12/22
श्रीरामकथा के आठवें भाग में देखिये कैसे वीर हनुमान ने समुद्र लांघ कर सीता जी को खोज निकाला।
Published 05/11/22
श्रीरामकथा का सातवें भाग में सुनिये सीता माता के अपहरण के बाद क्या हुआ?
Published 05/10/22
श्रीरामकथा के छठे भाग में देखिये क्या हुआ जब शूर्पणखा की दृष्टि श्रीराम पर पड़ी और कैसे इस घटना से सुनिश्चित हो गया राक्षसराज रावण का अन्त।
Published 05/09/22
श्री राम कथा के पाँचवे भाग में सुनिए, वनवास कल में हुई घटनाओं और उनके परिणामों के विषय में।
Published 05/07/22
श्री राम कथा के चौथे भाग में सुनिए श्री राम के वनवास गमन की कथा।
Published 05/06/22
What happened when Shriramchandra came face to face with Bhagavān Parshuram?
In this third episode of our Shri Ram Katha series, you will find out the answer to above question.
Watch this complete series based on Shri Valmiki Ramayana on our Sutradhar mobile app.
Published 05/05/22
"श्रीरामकथा की इस कड़ी में हम सुनेंगे प्रभु श्री रामचंद्र के अवतार और रावण वध के लिए, ऋषि विश्वामित्र द्वारा उनके शिक्षा प्राप्त करने की कथा।"
Published 05/04/22