Description
देवांतक की मृत्यु से त्रिषिरा ने क्रोध में भरकर नील पर तीरों की वर्षा कर दी। नील ने अपना आकार बढ़ाकर उन तीरों का बड़ी ही वीरता के साथ सामना किया। जैसे ही नील उन तीरों के प्रभाव से मुक्त हुए उन्होंने एक विशाल चट्टान से महोदर और उसके हाथी सुदर्शन को धराशायी कर दिया।
महोदर के धराशायी होने पर त्रिषिरा ने हनुमान जी पर अपने बाणों से आक्रमण कर दिया। हनुमान जी ने क्रोध में आकर त्रिषिरा के रथ के घोड़ों को मार गिराया। इस प्रकार रथ से विहीन हो जाने पर त्रिषिरा ने एक भाले से हनुमान जी पर प्रहार किया। हनुमान जी ने उसे हवा में ही पकड़कर अपनी जांघों पर रखकर तोड़ दिया।
उसके बाद त्रिषिरा ने एक तलवार से हनुमानजी पर प्रहार किया। तलवार के प्रहार से बचते हुए बजरंगबली ने अपनी हथेली से त्रिषिरा की छाती पर जोर से वार किया, जिससे उसके हाथ से तलवार छूट गई और वो दूर जा गिरा।
जैसे ही त्रिषिरा ने होश सम्हाला और हनुमानजी पर अपनी मुष्टिका से प्रहार करने के लिए लपका पवनपुत्र ने अपने एक हाथ से उसका मुकुट पकड़कर उसकी ही तलवार से उसका सर धड़ से अलग कर दिया।
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Published 05/15/23
अपने पुत्रों, भाइयों और सभी प्रमुख महारथियों की मृत्यु के पश्चात रावण ने अत्यंत क्रोधित होकर वानर सेना पर आक्रमण कर उनके मध्य हाहाकार मचा दिया। रावण ने तमस अस्त्र का प्रयोग कर अनेक वानरों को धराशायी कर दिया। श्रीराम और लक्ष्मण ने वानरों को इस प्रकार गिरते हुए देखा और रावण का सामना करने का निश्चय...
Published 10/05/22